
Govardhan Puja Aarti Lyrics In Hindi: दिवाली के दूसरे दिन यानी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर हर साल गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये उत्सव 22 अक्टूबर, बुधवार को मनाया जाएगा। इस दिन महिलों अपने घर के बाहर गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाकर इसकी पूजा करती हैं। मान्यता है ऐसा करने से भगवान श्रीकृष्ण की कृपा बनी रहती है। पूजा के बाद गोवर्धन पर्वत की आरती भी जरूर करनी चाहिए। यहां जानें गोवर्धन पवर्त की आरती के लिरिक्स हिंदी में…
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श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज,
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ ।
श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज,
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ ।
तोपे पान चढ़े, तोपे फूल चढ़े,
तोपे चढ़े दूध की धार ।
श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज,
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ ।
तेरे गले में कंठा साज रेहेओ।
ठोड़ी पे हीरा लाल ।
श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज,
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ ।
तेरे कानन कुंडल चमक रहेओ।
तेरी झांकी बनी विशाल ।
श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज,
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ ।
तेरी सात कोस की परिकम्मा,
चकलेश्वर है विश्राम ।
श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज,
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ ।
गिरिराज धारण प्रभु तेरी शरण ।
- हिंदू धर्म में बिना आरती के किसी भी देवी-देवता की पूजा पूरी नही मानी जाती। इसलिए गोवर्धन महाराज की पूजा के बाद आरती जरूर करें। इससे घर में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है।
- धर्म ग्रंथों के अनुसार, सबसे पहले सबसे पहले गोवर्धन महाराज के चरणों से 4 बार, नाभि से 2 बार, मुख से 1 बार और पूरे शरीर से 7 बार आरती उतारें। इस तरह 14 बार आरती की थाल घूमाएं।
- शास्त्रों में देवी-देवताओं की आरती करने का यही क्रम बताया गया है। इस तरह आरती करने से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों पर हमेशा अपनी कृपा बनाए रखते हैं।
Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।