Chitragupt Puja 2025 Kab Hai: भगवान चित्रगुप्त के बारे में धर्म ग्रंथों में बताया गया है। ये यमराज के सहायक हैं जो मनुष्यों के अच्छे-बुरे कामों का हिसाब रखते हैं। ये कायस्थ समाज के आराध्य देव हैं।
Chitragupt Puja 2025: हर साल चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की द्वितिया तिथि को भगवान चित्रगुप्त की पूजा की जाती है। चित्रगुप्त हर प्राणी के अच्छे-बुरे कर्मों का हिसाब रखते हैं और यमराज को बताते हैं। कायस्थ समाज के लोग भगवान चित्रगुप्त को अपना आराध्य मानकर पूजा करते हैं। जानिए इस बार चैत्र मास में कब करें भगवान चित्रगुप्त की पूजा…
पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की द्वितिया तिथि 15 मार्च, शनिवार की दोपहर 02 बजकर 33 मिनिट से शुरू होगी जो 16 मार्च, रविवार की शाम 04 बजकर 58 मिनिट तक रहेगी। चूंकि द्वितिया तिथि का सूर्योदय 16 मार्च को होगा, इसलिए इसी दिन चित्रगुप्त पूजा की जाएगी।
- सुबह 09:36 से 11:06
- दोपहर 12:11 से 12:59 तक
- दोपहर 02:04 से 03:33 तक
- शाम 06:32 से रात 08:03
-16 मार्च, रविवार की सुबह व्रत-पूजा का संकल्प लें। शुभ मुहूर्त में पूजा शुरू करें। किसी साफ स्थान पर लकड़ी का बाजोट स्थापित करें। उसके ऊपर सफेद कपड़ा बिछाएं और भगवान चित्रगुप्त का चित्र रखें।
- शुद्ध घी का दीपक लगाएं। चन्दन, रोली, हल्दी, पान, सुपारी आदि चीजें चढ़ाएं। अपनी इच्छा अनुसार फल और मिठाई का भोग लगाएं। पुस्तक और कलम की पूजा भी करें। पूजा के दौरान ये मंत्र बोलें-
मसिभाजनसंयुक्तं ध्यायेत्तं च महाबलम्।
लेखिनीपट्टिकाहस्तं चित्रगुप्तं नमाम्यहम्।।
- पूजा के बाद भगवान चित्रगुप्त की आरती करें। इस प्रकार पूजा करने से भगवान चित्रगुप्त प्रसन्न होते हैं और हर इच्छा पूरी करते हैं और घर में सुख-समृद्धि भी बनी रहती है।
ॐ जय चित्रगुप्त हरे,
स्वामीजय चित्रगुप्त हरे ।
भक्तजनों के इच्छित,
फल को पूर्ण करे॥
विघ्न विनाशक मंगलकर्ता,
सन्तनसुखदायी ।
भक्तों के प्रतिपालक,
त्रिभुवनयश छायी ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥
रूप चतुर्भुज, श्यामल मूरत,
पीताम्बरराजै ।
मातु इरावती, दक्षिणा,
वामअंग साजै ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥
कष्ट निवारक, दुष्ट संहारक,
प्रभुअंतर्यामी ।
सृष्टि सम्हारन, जन दु:ख हारन,
प्रकटभये स्वामी ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥
कलम, दवात, शंख, पत्रिका,
करमें अति सोहै ।
वैजयन्ती वनमाला,
त्रिभुवनमन मोहै ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥
विश्व न्याय का कार्य सम्भाला,
ब्रम्हाहर्षाये ।
कोटि कोटि देवता तुम्हारे,
चरणनमें धाये ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥
नृप सुदास अरू भीष्म पितामह,याद तुम्हें कीन्हा ।
वेग, विलम्ब न कीन्हौं,
इच्छितफल दीन्हा ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥
दारा, सुत, भगिनी,
सबअपने स्वास्थ के कर्ता ।
जाऊँ कहाँ शरण में किसकी,
तुमतज मैं भर्ता ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥
बन्धु, पिता तुम स्वामी,
शरणगहूँ किसकी ।
तुम बिन और न दूजा,
आसकरूँ जिसकी ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥
जो जन चित्रगुप्त जी की आरती,
प्रेम सहित गावैं ।
चौरासी से निश्चित छूटैं,
इच्छित फल पावैं ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥
न्यायाधीश बैंकुंठ निवासी,
पापपुण्य लिखते ।
'नानक' शरण तिहारे,
आसन दूजी करते ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे,
स्वामीजय चित्रगुप्त हरे ।
भक्तजनों के इच्छित,
फल को पूर्ण करे ॥
Disclaimer
इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।