
Holika Dahan 2025 Details: हर साल फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर होलिका दहन किया जाता है। इस बार ये तिथि 13 मार्च, गुरुवार को है। इसलिए इसी दिन रात को होलिका दहन किया जाएगा और इसके अगले दिन यानी 14 मार्च, शुक्रवार को धुरेड़ी पर्व मनाया जाएगा। होलिका दहन से पहले इसकी पूजा भी की जाती है। जानें कैसे करें होलिका की पूजा और इसके शुभ मुहूर्त भी…
नारियल, रोली, कच्चा सूत, चावल, फूल, बड़कुले (छोटे-छोटे उपलों की माला), साबूत हल्दी, मूंग, बताशे, पानी से भरा लोटा।
- होलिका पूजन शाम के समय किया जाता है। इसके पहले पूरी तैयारी कर लें। सबसे पहले होलिका को प्रणाम करें और शुद्ध घी का दीपक जलाएं। इसके बाद होलिका पर फूल से थोड़ा पानी छिड़के।
- होलिका पर फूल, मौली (पूजा का धागा) और कच्चा सूत चढ़ाएं। अब एक-एक करके कुंकुम, अबीर, गुलाल आदि चीजें भी चढ़ाएं। इसके बाद हार-फूल और नारियल चढ़ाएं। गोबर के बलकुड़े भी चढ़ाएं।
- इसके बाद मिठाई का भोग लगाएं। घर में जो भोजन बना हो जैसे पूड़ी और भजिए आदि ये भी अर्पित करें। इसके बाद भगवान नृसिंह और भक्त प्रह्लाद का स्मरण कर सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करें।
- होलिका की 7 परिक्रमा करें और लोटे का जल चढ़ाएं। अगर मन में कोई इच्छा हो तो वह भी जरूर बोलें। इस प्रकार होलिका की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है कोई संकट भी नहीं आता।
होलिका दहन करते समय भद्रा का विचार जरूर किया जाता है यानी भद्रा के दौरान होलिका दहन अशुभ माना जाता है। 2025 में भी होलिका दहन के दिन भद्रा का संयोग बन रहा है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी की माने तो 13 मार्च, गुरुवार को भद्रा सुबह 10:36 से शुरू होगी, जो रात 11:27 मिनिट तक रहेगी। यानी इस दौरान होलिका दहन भूलकर भी न करें।
परंपरा के अनुसार होलिका पूजन के बाद प्रदोष काल में ही यानी शाम को होलिका दहन करना चाहिए लेकिन इस समय यदि भद्रा हो तो ऐसा न करें। 13 मार्च, गुरुवार को भद्रा रात 11 बजकर 27 मिनिट तक रहेगी। इसके बाद होलिका दहन करना शुभ रहेगा।