
Diwali 2024 Devi Lakshmi Aarti: हर साल कार्तिक अमावस्या पर दिवाली मनाई जाती है। मान्यता के अनुसार, इसी तिथि पर देवी लक्ष्मी समुद्र में से प्रकट हुईं थीं। इसलिए हर साल इसी तिथि पर देवी लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है। दिवाली पर देवी लक्ष्मी की पूजा के बाद आरती भी की जाती है। देवी लक्ष्मी की आरती के कुछ नियम धर्म ग्रंथों में बताए गए हैं। जानें इन नियमों के बारे में…
- देवी लक्ष्मी की आरती के लिए शुद्ध घी का दीपक जलाएं। सबसे पहले देवी लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र के चरणों में चार बार आरती घुमाएं, दो बार नाभि से, एक बार चेहरे से और सात बार पूरी मूर्ति पर घुमाएं।
- इस तरह चौदह बार ऊपर बताए गए तरीके से देवी लक्ष्मी के चित्र या प्रतिमा के सामने आरती घुमानी चाहिए।आरती करते समय घंटी और ताली सुमधुर धुन में बजाएं। आरती गाते हुए सूर और लय का ध्यान रखें।
- दीपक से आरती करने के बाद कर्पूर आरती भी जरूर करें। अंत में कलश से साफ जल लेकर आरती के ऊपर हल्का सा छिड़क लें। सबसे पहले देवी लक्ष्मी और बाद में अन्य लोगों को आरती दें।
ऊं जय लक्ष्मी माता, जय लक्ष्मी माता।
तुमको निसिदिन सेवत हर विष्णु-धाता।। ऊं।।
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग माता।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता।। ऊं...।।
दुर्गारूप निरंजनि, सुख-सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, रिद्धि-सिद्धि धन पाता।। ऊं...।।
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधिकी त्राता।। ऊं...।।
जिस घर तुम रहती, तहँ सब सद्गुण आता।
सब संभव हो जाता, मन नहिं घबराता।। ऊं...।।
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न हो पाता।
खान-पान का वैभव सब तुमसे आता।। ऊं...।।
शुभ-गुण-मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहिं पाता।। ऊं...।।
महालक्ष्मी(जी) की आरती, जो कोई नर गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता।। ऊं...।।
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