
Durga Ashtami 2025 Mahashubh Sanyog: शारदीय नवरात्रि का आठवां दिन, महाअष्टमी, देवी दुर्गा की पूजा के लिए सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन देवी के महागौरी स्वरूप की पूजा की जाती है। इस बार यह शुभ तिथि कई वर्षों बाद महा-शुभ संयोग लेकर आ रही है, जो भक्तों के लिए सुख-सौभाग्य के द्वार खोलेगा। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी जी के अनुसार, इस विशेष योग में देवी जगदम्बा की पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होगी और घर में सुख-समृद्धि आएगी।
इस वर्ष आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की महाअष्टमी का व्रत 30 सितंबर, मंगलवार को रखा जाएगा। पंचांग के अनुसार, अष्टमी तिथि 29 सितंबर को शाम 4:32 बजे से शुरू होकर 30 सितंबर को शाम 6:06 बजे समाप्त होगी।
ज्योतिषीय गणना के अनुसार, इस वर्ष दुर्गा अष्टमी पर कई शुभ संयोग बन रहे हैं, जिससे इस दिन का महत्व कई गुना बढ़ जाता है।
संधि पूजा का विशेष महत्व- महाअष्टमी के दिन संधि पूजा का विशेष महत्व होता है। यह पूजा अष्टमी तिथि के अंत और नवमी तिथि के आरंभ में की जाती है। यह समय पूजा और यज्ञ के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। शुभ मुहूर्त: संधि पूजा का शुभ मुहूर्त 30 सितंबर को शाम 5:42 बजे से शाम 6:30 बजे तक रहेगा।
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पूजा के दौरान, "या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः" मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें।
पूजा के बाद, देवी दुर्गा की आरती करें और उनसे अपनी मनोकामनाएँ पूरी करने की प्रार्थना करें।
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