Vinayak Chaturthi January 2025: हर महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान श्रीगणेश के निमित्त व्रत किया जाता है। इसे विनायकी चतुर्थी कहते हैं। इस व्रत का विशेष महत्व धर्म ग्रंथों में बताया गया है।
Kab Hai Vinayaka Chaturthi January 2025: धर्म ग्रंथों के अनुसार, चतुर्थी तिथि के देवता भगवान श्रीगणेश हैं। हर महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान श्रीगणेश को प्रसन्न करने के लिए व्रत-पूजा की जाती है, इसे विनयाकी चतुर्थी व्रत कहते हैं। ये व्रत करने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। जानें साल 2025 के पहले महीने जनवरी में कब करें विनायकी चतुर्थी व्रत, जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त आदि पूरी डिटेल…
पंचांग के अनुसार, पौष मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 2 जनवरी, गुरुवार की रात 01 बजकर 08 मिनिट से शुरू होगी, जो 03 जनवरी, शुक्रवार की रात 11 बजकर 39 मिनिट तक रहेगी। चूंकि चतुर्थी तिथि का सूर्योदय 3 जनवरी को होगा, इसलिए इस दिन पौष मास की विनायकी चतुर्थी का व्रत किया जाएगा। इस दिन सिद्धि, प्रजापति और सौम्य नाम के 3 शुभ योग होने से इस व्रत का महत्व और भी बढ़ गया है।
- दोपहर 12:31 से 13:50 तक
- दोपहर 12:10 से 12:52 तक (अभिजीत मुहूर्त)
- शाम 04:30 से 05:49 तक
- 3 जनवरी, शुक्रवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें और इसके बाद हाथ में जल-चावल लेकर व्रत-पूजा का संकल्प लें।
- शुभ मुहूर्त में घर में किसी साफ स्थान पर भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा या चित्र एक बाजोट यानी पटिए के ऊपर स्थापित करें।
- पूजा की शुरूआत में सबसे पहले गणेश प्रतिमा पर तिलक लगाएं, फूलों की माला पहनाएं और शुद्ध घी का दीपक जलाएं।
- इसके बाद दूर्वा, अबीर, गुलाल, रोली आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाते रहें। इस दौरान ऊं गं गणपतयै नम: मंत्र का जाप करें।
- भगवान श्रीगणेश को भोग लगाएं और आरती करें। प्रसाद भक्तों में बांट दें। संभव हो तो मंत्र जाप भी कर सकते हैं।
- जो व्यक्ति विनायकी चतुर्थी का व्रत करता है, उसकी सभी मनोकामना पूरी होती हैं घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
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