Gopashtami 2023 Date: गोपाष्टमी आज, क्यों मनाते हैं ये पर्व? जानें पूजा विधि-मंत्र शुभ मुहूर्त सहित पूरे डिटेल

Gopashtami 2023 Date: कार्तिक मास में दिवाली के बाद गोपाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन गाय, बछड़ों की पूजा मुख्य रूप से की जाती है। धर्म ग्रंथों में इस पर्व से जुड़ी कईं मान्यताएं और परंपराएं जुड़ी हैं।

 

Manish Meharele | Published : Nov 19, 2023 9:43 AM IST

Gopashtami 2023 Puja Vidhi: धर्म ग्रंथों के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को गोपाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये तिथि 20 नवंबर, सोमवार को है। इस पर्व से जुड़ी कईं कथाएं धर्म ग्रंथों में मिलती है। मथुरा, वृंदावन में इस पर्व का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के साथ-साथ गौधन जैसे गाय, बछड़ों की पूजा भी की जाती है। आगे जानिए गोपाष्टमी की पूजा विधि, क्यों मनाते हैं ये पर्व व अन्य खास बातें…

गोपाष्टमी 2023 पूजा का शुभ मुहूर्त (Gopashtami 2023 Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 20 नवंबर, सोमवार को पूरे दिन रहेगी। इस दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह सुबह 11:50 से दोपहर 12:34 तक रहेगा। इस शुभ योग में पूजा करना श्रेष्ठ रहेगा।

क्या है गोपाष्टमी की कथा? (Gopashtami 2023 Katha)
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण जब छोटे थे तो उनके सभी मित्र जंगल में गाए चराने जाते थे। एक दिन श्रीकृष्ण भी उनके साथ जंगल जाने की जिद करने लगे, लेकिन माता यशोदा ने इंकार कर दिया। इसके बाद भी जब श्रीकृष्ण नहीं माने तो माता यशोदा ने ऋषि शांडिल्य से शुभ मुहूर्त निकलवाया और श्रीकृष्ण से गायों की पूजा करवाई, इसके बाद ही उन्हें गाय चराने के लिए जंगल में भेजा। तभी से गोपाष्टमी का पर्व मनाया जा रहा है।

इस विधि से करें गोपाष्टमी की पूजा (Gopashtami Puja Vidhi)
- 20 नवंबर, सोमवार की सुबह जल्दी उठकर व्रत- पूजा का संकल्प लें। शुभ मुहूर्त में दूध देने वाली गाय और बछडे़ को माला पहनाकर चंदन से तिलक लगाएं।
- एक बर्तन में पानी, चावल, सफेद तिल और फूल मिलाकर गाए के पैरों पर डालें। ऐसा करते समय नीचे लिखा मंत्र बोलें-
क्षीरोदार्णवसम्भूते सुरासुरनमस्कृते।
सर्वदेवमये मातर्गृहाणार्घ्य नमो नम:॥
- इसके बाद गाय को रोटी, चारा या अन्य पकवान आदि खिलाएं। पूजा के बाद गौ माता की विधि-विधान से आरती करें।

ये है गौ माता की आरती (gaumata ki aarti)
ॐ जय जय गौमाता, मैया जय जय गौमाता |
जो कोई तुमको ध्याता, त्रिभुवन सुख पाता ||
मैया जय जय गौमाता ………………
सुख समृद्धि प्रदायनी, गौ की कृपा मिले |
जो करे गौ की सेवा, पल में विपत्ति टले ||
मैया जय जय गौमाता ……………
आयु ओज विकासिनी, जन जन की माई |
शत्रु मित्र सुत जाने, सब की सुख दाई ||
मैया जय जय गौमाता ………………
सुर सौभाग्य विधायिनी, अमृती दुग्ध दियो |
अखिल विश्व नर नारी, शिव अभिषेक कियो ||
मैया जय जय गौमाता ………………
ममतामयी मन भाविनी, तुम ही जग माता |
जग की पालनहारी, कामधेनु माता ||
मैया जय जय गौमाता ……………संकट रोग विनाशिनी, सुर महिमा गायी |
गौ शाला की सेवा, संतन मन भायी ||
मैया जय जय गौमाता ………………
गौ माँ की रक्षा हित, हरी अवतार लियो |
गौ पालक गौपाला, शुभ सन्देश दियो ||
मैया जय जय गौमाता ………………
श्री गौमात की आरती, जो कोई सुत गावे |
“पदम्” कहत वे तरणी, भव से तर जावे ||
मैया जय जय गौमाता ………………


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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