Guru Pradosh February 2023: 2 फरवरी को करें गुरु प्रदोष व्रत, जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, महत्व और कथा

Guru Pradosh February 2023: इस बार 2 फरवरी, गुरुवार को प्रदोष व्रत का संयोग बन रहा है। ये व्रत गुरुवार को होने गुरु प्रदोष कहलाएगा। इस व्रत को करने से हर काम में सफलता मिलती है और गुरु ग्रह से संबंधित दोषों में कमी आती है।

 

Manish Meharele | Published : Feb 1, 2023 9:30 AM IST

उज्जैन. 2 फरवरी, गुरुवार को माघ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि होने से इस दिन गुरु प्रदोष व्रत किया जाएगा। इस व्रत में दिन भर उपवास रखकर शाम को प्रदोष काल में शिवजी की विशेष पूजा की जाती है। इस व्रत को करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और गुरु ग्रह से संबंधित दोषों में कमी आती है। आगे जानिए गुरु प्रदोष के शुभ योग, मुहूर्त, पूजा विधि व अन्य खास बातें…


गुरु प्रदोष के शुभ मुहूर्त (Guru Pradosh February 2023 Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 2 फरवरी, गुरुवार शाम 04:26 से 3 फरवरी, शुक्रवार की शाम 06:58 तक रहेगा। चूंकि प्रदोष व्रत की पूजा शाम को की जाती है, इसलिए ये व्रत 2 फरवरी को करना ही श्रेष्ठ रहेगा। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06:01 से 08:38 तक रहेगा।


ये है गुरु प्रदोष की व्रत-पूजा विधि (Guru Pradosh Puja Vidhi)
- 2 फरवरी, गुरुवार को सुबह उठकर नित्य कर्म करने के बाद हाथ में जल और चावल लेकर व्रत-पूजा का संकल्प लें। संकल्प के अनुसार ही व्रत करें। अगर निर्जला व्रत का संकल्प लिया है तो दिन भर कुछ भी खाए पीएं नहीं।
- शाम को ऊपर बताए गए शुभ मुहूर्त में शिवजी की प्रतिमा स्थापित करें। सबसे पहले शुद्ध जल से अभिषेक करें। इसके बाद पंचामृत से शिव प्रतिमा का अभिषेक करें और दोबारा शुद्ध जल चढ़ाएं।
- इसके बाद शिवजी को बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़ा, फूल, भांग आदि चीजें एक-एक कर चढ़ाएं। ये सभी चीजें चढ़ाते समय ऊं नम: शिवायं मंत्र का जाप करते रहें। इसके बाद शुद्धता पूर्वक बनाया गया भोग लगाएं और आरती करें।


ये है गुरु प्रदोष व्रत की कथा (Guru Pradosh Katha)
किसी समय वृत्तासुर नाम का एक पराक्रमी राक्षस था। उसने स्वर्ग लोक पर आक्रमण कर दिया, लेकिन देवताओं ने उसे हरा दिया। हार से क्रोधित होकर उसने विकराल रूप धारण कर लिया। जिसे देखकर देवता भी भागने लगे और देवगुरु बृहस्पति की शरण में आ गए। देवगुरु बृहस्पति ने उन्हें बताया कि ये असुर पहले चित्ररथ नामक राजा था। उसने शिवजी को तपस्या कर प्रसन्न कर लिया है। उसे पराजित करने के लिए सभी देवता गुरु प्रदोष का व्रत करें। देवताओं ने ऐसा ही किया और उस व्रत के प्रभाव से वृत्तासुर को पराजित कर दिया।


गुरु प्रदोष पर जरूर करें ये 5 काम
1. गुरु प्रदोष के शुभ योग में अगर आप व्रत-पूजा नहीं कर सकते तो सिर्फ शिवलिंग का अभिषेक करने से भी शुभ फल प्राप्त कर सकते हैं।
2. इस दिन नंदी यानी बैल कहीं दिख जाए तो उसे हरा चारा खिलाएं।
3. शिव-पार्वती के मंदिर में जाकर साफ-सफाई करें और दीपक जलाएं।
4. किसी मंदिर की गौशाला में चारे आदि के लिए अपनी इच्छा अनुसार पैसों का दान करें।
5. जिस शिवलिंग पर नाग न हो, वहां तांबे का नाग अर्पित करें। इससे शिवजी की कृपा आप पर बनी रहेगी।



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