
Hariyali Amavasya Katha: सावन का महीना चल रहा है। इस पूरे महीने भगवान शिव की पूजा श्रद्धा और भाव के साथ की जाती है। इस महीने में पड़ने वाली अमावस्या को हरियाली अमावस्या कहा जाता है। ऐसे में भगवान शिव-माता पार्वती के साथ-साथ इस दिन पीपल के पेड़ की भी पूजा करने का विधान है। इस दिन हरियाली अमावस्या व्रत की कथा पढ़ता या फिर सुनता है, उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। आइए जानते हैं क्या है हरियाली अमावस्या से जुड़ी कथा, जिसके बारे में आपको जरूर जानना चाहिए।
एक वक्त की बात है, एक राजा अपने महल में पूरे परिवार के साथ खुशी-खुशी रहता था। उसका एक बेटा और बहू भी थे। एक दिन रसोई में मिठाई रखी हुई थी। वो सारी मिठाई राजा की बहू खा गई। जब उससे पूछा गया कि सारी मिठाइयां कहां गई? तो उसने कहा कि चूहे खा गए। चूहों ने जैसे ही ये बात सुनी तो अपने ऊपर लगाया गया झूठा इल्जाम वो बर्दाश्त नहीं कर पाएं और क्रोधित हो उठे। ऐसे में उन्होंने राजा की बहू को सबक सिखाने का फैसला किया। कुछ दिनों बाद राजा के महल मेहमान आएं। इस दिन का चूहों ने फायदा उठाया। चूहे ने राजा की बहू की सारी साड़ियां चुराकर महल आएं मेहमानों के कमरे में रख दी। जब सुबह सभी ने बहू की साड़ियों को मेहमान के कमरे में देखा तो राजा की बहू के चरित्र पर सवाल उठाने लगे। ये बात चारों तरफ फैल गई। जब राजा को ये बात पता लगी, तो राजा ने उसे महल से निकाल दिया।
इसके बाद राजा की बहू एक झोपड़ी में जाकर रहने लगी और रोजना पीपल के एक पेड़ के नीचे दीया जलाने लगी। साथ ही गुड़धानी का भोग लगाकर सबको बांटने लगी। ऐसा करते हुए कई समय बीत गया। एक बार राजा उस पीपल के पेड़ के पास से गुजर रहा था। इस दौरान उसका ध्यान पेड़ के आसपास मौजूद रोशनी पर चला गया और वो हैरान रह गया। राजा ने महल में आने के बाद अपने सिपाहियों से उस रोशनी के बारे में पता लगाने को कहा। जब सैनिक वहां पहुंचे तो उन्होंने देखा कि दीपक आपस में बात कर रहे थे। एक दीपक ने बोला का मैं राजा के महल से आया हूं। महल से निकाले जाने के बाद राजा की बहू रोज मेरी पूजा करती है और मुझे जलाती है।
राजा के दीपक से जब सबने पूछा कि आखिर उसे महल से क्यों निकाला गया? तो दीपक ने चूंह वाली सारी कहानी उन्हें बता दी। ये सारी बातें सुनने के बाद सैनिक भी हैरान रह गए और उन्होंने राजा को सारी बात बताई। राजा को अपनी गलती का एहसास हुआ और वो पुत्रवधु को वापस महल ले आया। इसके बाद भी राजा की बहू लगातार पीपल के पेड़ के नीचे दीया जलाती रही और खुशहाल जिंदगी बिताती रही।