Nagpanchami Ki Katha: नागपंचमी पर जरूर सुनें ये कथा, तभी मिलेगा पूजा का पूरा फल

Nagpanchami 2024 Kab Hai: इस बार नागपंचमी का पर्व 9 अगस्त, शुक्रवार को मनाया जाएगा। मान्यता है कि जो इस दिन नागदेवता की पूजा करता है उसे सर्प भय से मुक्ति मिलती है यानी सांप के काटने का भय दूर होता है।

 

Manish Meharele | Published : Aug 3, 2024 3:26 AM IST / Updated: Aug 09 2024, 07:37 AM IST

Nagpanchami Story In Hindi: हर साल सावन महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागपंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 9 अगस्त, शुक्रवार को मनाया जाएगा। धर्म ग्रंथों के अनुसार, जो व्यक्ति इस दिन नागदेवता की पूजा करता है, उसे कभी सांपों द्वारा काटने का भय नहीं रहता है। इस दिन प्रमुख नाग मंदिरों में दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती है। इस दिन नागपंचमी की कथा भी जरूर सुननी जाती है। इसे सुने बिना नागपंचमी पूजा का पूरा फल नहीं मिल पाता। जानें नागपंचमी की कथा…

ये है नागपंचमी की कथा (Nag Panchami Ki Katha)
- प्रचलित कथा के अनुसार, किसी शहर में एक धनवान व्यक्ति रहता था, उसके सात बेटे थे। सभी की शादी हो चुकी थी। सबसे छोटे बेटे की जो पत्नी थी, वो बहुत समझदार थी, लेकिन उसका कोई भाई नहीं था।
- एक दिन सभी बहुओं ने घर को लीपने के निश्चिय किया। इसके लिए वे पीली मिट्टी लाने खेत में गई। जब बड़ी बहू खुरपी से मिट्टी खोद रही थी, सभी समय वहां एक जहरीला सांप निकल आया।
- बड़ी बहू ने खुरपी से सांप पर वार कर दिया। ये देख छोटी बहू ने सांप की जान बचाई और घायल सांप को पेड़ के नीचे रख दिया और कहा कि ‘तुम कहीं जाना मत, हम थोड़ी देर में आते हैं।’
- लेकिन छोटी बहू काम के चक्कर में घायल सांप को भूल गई। अगले दिन छोटी बहू को सांप की याद आई तो वह उसी स्थान पर गई जहां उसने सांप को रखा था। सांप तब तक ठीक भी हो चुका था।
- छोटी बहू से सांप ने कहा कि ‘अगर तुम आज यहां नहीं आती तो झूठ बोलने के अपराध में मैं तुम्हें डस लेता। जीवों के प्रति छोटी बहू का प्रेम देखकर सांप ने उसे अपनी बहन बना लिया।
- कुछ समय बाद सांप इंसानी रूप में छोटी बहू के घर गया और उसके परिजनों से कहा कि ’मैं आपकी छोटी बहू का दूर का भाई हूं। उसे लेने आया हूं। घर वालों ने छोटी बहू को उसके साथ भेज दिया।
- सर्प ने अपनी मुंहबोली बहन के लिए एक आलीशान घर बनाया और दोनों उसमें रहने लगे। कुछ दिनों बाद सर्प ने बहुत सारा धन और मणि का हार देकर विदा
किया। उस हार की प्रशंसा सभी दूर फैल गई।
- जब ये बात उस नगर की रानी को पता चली तो उसने वह हार छोटी बहू से ले लिया। छोटी बहू ने ये बात अपने सर्प भाई को बता दी। तब वह रानी के पास गया। उसे देखकर रानी डर गई।
- घबराकर रानी ने वह हार वापस छोटी बहू को लौटा दिया। छोटी बहू ने अपने पति को भी पूरी बात सच-सच बता दी। पूरी बात जानकर छोटी बहू के पति ने नाग देवता का सत्कार किया।
- तभी से नागपंचमी का पर्व मनाया जा रहा है। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति नागपंचमी पर नागदेवता की पूजा करता है, उसके जीवन में खुशहाली बनी रहती है और सर्प भय भी नहीं रहता।

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इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो ज्योतिषियों द्वारा बताई गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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