Aja Ekadashi 2025: कब है अजा एकादशी, 18 या 19 अगस्त? जानें पूजा विधि-मंत्र और मुहूर्त

Published : Aug 17, 2025, 11:10 AM IST
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सार

Aja Ekadashi 2025 Date: भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अजा एकादशी कहते हैं। इस एकादशी का महत्व अनेक धर्म ग्रंथों में बताया गया है। इस एकादशी को जया के नाम से भी जाना जाता है। जानिए

Aja Ekadashi 2025 Kab Hai: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। एक महीने में 2 बार एकादशी व्रत किया जाता है। इस तरह एक साल में कुल 24 एकादशी होती है। इन सभी के नाम, महत्व, पूजा विधि और कथा अलग-अलग है। भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अजा और जया के नाम से जाना जाता है। इस एकादशी का महत्व अनेक धर्म ग्रंथों में बताया गया है। आगे जानिए इस बार कब किया जाएगा अजा एकादशी व्रत, इसकी पूजा विधि, शुभ मुहूर्त आदि की डिटेल…

कब है अजा एकादशी 2025? (Aja Ekadashi 2025 Kab Hai)

पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 18 अगस्त, सोमवार की शाम 05 बजकर 22 मिनिट से शुरू होगी जो 19 अगस्त, मंगलवार की दोपहर 03 बजकर 32 मिनिट तक रहेगी। चूंकि एकादशी तिथि का सूर्योदय 19 अगस्त, मंगलवार को होगा, इसलिए इस दिन अजा एकादशी का व्रत किया जाएगा। व्रत का पारणा 20 अगस्त, बुधवार को किया जाएगा।

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अजा एकादशी 2025 पूजा के शुभ मुहूर्त (Aja Ekadashi 2025 Shubh Muhurat)

सुबह 09:19 से 10:55 तक
सुबह 10:55 से दोपहर 12:30 तक
दोपहर 12:04 से 12:55 तक
दोपहर 12:30 से 02:05 तक
दोपहर 03:41 से शाम 05:16 तक

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अजा एकादशी व्रत-पूजा विधि (Aja Ekadashi Vrat-Puja Vidhi)

- ग्रंथों के अनुसार एकादशी व्रत के नियम एक दिन पहले से माने जाते हैं। इसलिए 18 अगस्त, सोमवार की शाम सात्विक भोजन करें और बह्मचर्य का पालन करें।
- 19 अगस्त, मंगलवार की सुबह स्नान करने के बाद हाथ में जल, चावल और फूल लेकर व्रत-पूजा का संकल्प लें। कोई मनोकामना हो तो वह भी जरूर बोलें।
- दिन भर व्रत के नियमों का पालन करें। किसी से विवाद न करें, गुस्सा न करें, गलत विचार मन में न लाएं। संकल्प के अनुसार एक समय फलाहार कर सकते हैं।
- किसी शुभ मुहूर्त में घर में किसी साफ स्थान पर लकड़ी के पटिए पर लाल कपड़ा बिछाकर इसके ऊपर भगवान विष्णु के चित्र या प्रतिमा की स्थापना करें।
- भगवान की प्रतिमा को कुमकुम से तिलक लगाएं। फूलों की माला पहनाएं। शुद्ध घी का दीपक जलाएं। अबीर, गुलाल, रोली, फूल, फल, चावल आदि चीजें चढ़ाएं।
- पूजा के दौरान ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का जाप करते रहें। इसके बाद अपनी इच्छा के अनुसार भोग लगाएं। भोग में तुलसी के पत्ते जरूर रखें।
- अंत में आरती करें और अजा एकादशी की कथा सुनें। रात में सोएं नहीं, भजन-कीर्तन या मंत्र जाप करते रहें। अगले दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाएं व दान दें।
- इसके बाद स्वयं भोजन करें। इस प्रकार जो व्यक्ति अजा एकादशी का व्रत करता है उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और वह बैकुंठ लोक को जाता है।

अजा एकादशी व्रत कथा (Aja Ekadashi Katha)

सतयुग में इक्ष्वाकु वंश में राजा हरिशचंद्र का जन्म हुआ। वे बहुत दानवीर थे। किसी वजह से उन्होंने अपना राज-पाठ छोड़ दिया और परिवार के साथ वन-वन भटकने लगे उन्होंने अपनी पत्नी, पुत्र और स्वयं को भी बेच दिया। राजा हरिशचंद्र चांडाल के दास बनकर रहने लगे। एक दिन राजा हरिशचंद्र ऋषि गौतम के पास गए और सारी बात बताई। गौतम ऋषि ने उन्हें अजा एकादशी का व्रत करने को कहा। इस व्रत के प्रभाव से राजा को अपना राज-पाठ वापस मिल गया।


Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

 

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