Dev Diwali 2024: कौन-सा मंत्र बोलकर जलाएं दीपक, कैसे करें दीपदान? जानें मुहूर्त

Published : Nov 10, 2024, 08:47 AM IST
dev diwali 2024

सार

Dev Diwali 2024: दिवाली के 15 दिन बाद यानी कार्तिक पूर्णिमा तिथि पर देव दिवाली का पर्व मनाया जाता है। इस दिन नदी और तालाब में दीपदान करने की परंपरा है। इस पर्व से कईं कथाएं और मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। 

Dev Diwali 2024 Kab Hai: धर्म ग्रंथों के अनुसार, कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि पर देव दिवाली का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 15 नवंबर, शुक्रवार को मनाया जाएगा। इस दिन नदी और तालाब आदि स्थानों पर दीपदान करने का विशेष महत्व धर्म ग्रंथों में बताया गया है। इस पूर्णिमा से जुड़ी कईं कथाएं और मान्यताएं प्रचलित हैं। आगे जानिए कैसे करें दीपदान, शुभ मुहूर्त और इस तिथि से जुड़ी कथा…

देव दिवाली 2024 दीपदान शुभ मुहूर्त (Dev Diwali 2024 Shubh Muhurat)

इस बार देव दिवाली का पर्व 15 नवंबर, शुक्रवार को मनाया जाएगा। देव दिवाली के दिन प्रदोष काल यानी शाम के समय दीपदान का विशेष महत्व है। 15 नवंबर को प्रदोष काल शाम 05 बजकर 48 मिनिट से 6 बजकर 13 मिनिट तक रहेगा। हालांकि इसके बाद भी भक्त दीपदान कर सकते हैं। दीपदान की परंपरा पूरी रात चलती रहती है।

देव दिवाली पर इस विधि से करें दीपदान (Deepdan Vidhi On Dev Diwali)

- देव दीपावली पर शाम के समय नदी और तालाब में दीपदान किया जाता है यानी दीपक जलाकर नदी में प्रवाहित करते हैं।
- दीपदान के लिए आटे के दीपक का उपयोग करें। इसमें तिल का तिले डालें और इसे जलाएं। कुमकुम और चावल डालकर इसकी पूजा करें।
- दीपक के हाथ जोड़कर घर की सुख-शांति के लिए प्रार्थना करें। इस दीपक को किसी दोने या ऐसी चीज पर रखकर नदी में छोड़ें कि वह डूबे नही।
- इस विधि से कार्तिक पूर्णिमा तिथि पर दीपदान करने से जीवन में खुशहाली बनी रहती है और परेशानियां दूर हो जाती हैं।

दीपक जलाते समय बोलं ये मंत्र

दीपदान के लिए आप जब दीपक जलाएं तो नीचे लिखा मंत्र भी जरूर बोलें। ऐसा करना शुभ माना जाता है। ये है वो मंत्र-
शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यम् धनसंपदा।
शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपकाय नमोस्तुते।।
अर्थ- शुभ और कल्याण करने वाली, आरोग्य (अच्छी सेहत) और धन-संपदा देने वाली, शत्रुओं की बुद्धि का नाश करने वाली दीपक की ज्योति को मैं नमस्कार करता हूं।


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Disclaimer
इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

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