2 दिन रहेगी भादौ मास की अमावस्या, किस दिन करें श्राद्ध, कब करें स्नान-दान?

Kushgrahani Amavasya 2024: इस बार भाद्रपद मास यानी भादौ की अमावस्या 2 दिन रहेगी, जिसके चलते लोगों के मन में कन्फ्यूजन है कि किस दिन श्राद्ध करें और कब स्नान-दान? आगे जानिए कब है भाद्रपद मास 2024 की अमावस्या…

 

Somvati Amavasya 2024 Details: धर्म ग्रंथों में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। इस तिथि के देवता पितृ हैं। इसलिए इस दिन उनकी आत्मा की शांति के लिए विशेष उपाय आदि किए जाते हैं। इस बार भाद्रपद मास की अमावस्या तिथि 1 नहीं बल्कि 2 दिन रहेगी, जिसके चलते लोगों के मन में कन्फ्यूजन है कि कब श्राद्ध करें और कब स्नान-दान? उज्जैन के ज्योतिषाचार्य से जानें भाद्रपद मास 2024 की अमावस्या कब है…

कब से कब तक रहेगी अमावस्या तिथि?
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, इस बार भाद्रपद मास की अमावस्या तिथि 02 सितंबर, सोमवार की सुबह 05 बजकर 22 मिनिट से शुरू होगी, जो 03 सितंबर, मंगलवार की सुबह 07 बजकर 25 मिनिट तक रहेगी। चूंकि दोनों ही दिन सूर्योदय के समय अमावस्या तिथि रहेगी, इसलिए ये वृद्धि तिथि मानी जाएगी। वृद्धि तिथि यानी एक ही तिथि 2 दिन होना।

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कब करें श्राद्ध और स्नान-दान?
ज्योतिषाचार्य पं. द्विवेदी के अनुसार, 2 सितंबर, सोमवार को अमावस्या तिथि पूरे दिन रहेगी, इसलिए इस दिन स्नान-दान और श्राद्ध आदि सभी कर्म किए जा सकते हैं। सोमवार को अमावस्या तिथि होने से ये सोमवती अमावस्या कहलाएगी। सोमवती अमावस्या का संयोग साल में 2 या 3 बार ही बनता है, इसलिए इसका महत्व बहुत अधिक रहेगा।

3 सितंबर को भी रहेगी अमावस्या
भादौ की अमावस्या तिथि 3 सितंबर, मंगलवार को भी सुबह 07 बजकर 25 मिनिट तक रहेगी। सूर्योदय के समय अमावस्या तिथि होने से इस दिन भी स्नान-दान किया जा सकता है। मंगलवार को अमावस्या तिथि होने से ये भौमी अमावस्या कहलाएगी। इस दिन श्राद्ध शास्त्र सम्मत नहीं है।

इसे कहते हैं कुशग्रहणी अमावस्या
धर्म ग्रंथों के अनुसार, भादौ मास की अमावस्या को कुशग्रहणी अमावस्या कहते हैं। कुशा एक प्रकार की घास है, जिसका उपयोग पूजा आदि शुभ कामों में किया जाता है। प्राचीन समय में ब्राह्मण इसी दिन कुशा घास को उखाड़कर अपने पास एकत्रित कर लेते थे, जिसका उपयोग वे साल भर में होने वाले कामों में करते थे। ग्रंथों के अनुसार…
पूजाकाले सर्वदैव कुशहस्तो भवेच्छुचि:।
कुशेन रहिता पूजा विफला कथिता मया।।
(शब्दकल्पद्रुम)
अर्थ- हर गृहस्थ व्यक्ति को भाद्रपद मास की अमावस्या पर कुशा घास का संचय (इकट्ठा) करना चाहिए। कुश घास से रहित यदि कोई पूजा की जाए तो उसका पूरा फल नहीं मिलता।

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Disclaimer
इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 


 

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