Shani Jayanti 2024: शनिदेव को क्यों दिया उनकी पत्नी ने श्राप, पिता सूर्य कैसे बने शत्रु? जानें रोचक बातें

Interesting Facts Of Shanidev: ज्योतिष शास्त्र में शनिदेव को न्यायाधीश कहा गया है। शनिदेव से जुड़ी कईं मान्यताएं और मिथक हमारे समाज में प्रचलित हैं। इनमें से कईं मान्यताएं तो धर्म ग्रंथों में भी मिलती हैं।

 

Manish Meharele | Published : Jun 2, 2024 4:10 AM IST / Updated: Jun 06 2024, 08:14 AM IST

Shani Jayanti 2024 Kab Hai: इस बार 6 जून, गुरुवार को शनि जयंती का पर्व मनाया जाएगा। मान्यता है कि इसी तिथि पर शनिदेव का जन्म हुआ था। शनिदेव से जुड़ी अनेक मान्यताएं हमारे समाज में प्रचलित हैं जैसे शनिदेव का नजर अशुभ है, ये जिसकी ओर दृष्टि डालते हैं, उसका अशुभ हो जाता है। एक मान्यता ये भी है कि शनिदेव अपने पिता सूर्य के प्रति शत्रु भाव रखते हैं। इन सभी मान्यताओं के पीछे कुछ कथाएं जुड़ी हुई हैं। आज हम आपको इन्हीं कथाओं के बारे में बता रहे हैं। जानिए शनिदेव से जुड़ी मान्यताएं…

शनिदेन की नजर क्यों है अशुभ? (Shanidev ki Najar Ashubh Kyo)
धर्म ग्रंथों के अनुसार, शनिदेव का विवाह चित्ररथ गंधर्व की पुत्री से हुआ था, जो कि काफी उग्र स्वभाव की थीं। एक बार जब शनिदेव तपस्या में लीन थे, उस समय उनकी पत्नी मिलन की कामना लेकर उनके पास आई, लेकिन फिर भी शनिदेव तपस्या ही करते रहें। तपस्या समाप्त होने के बाद जब शनिदेव ने आंखें खोली तब तक उनकी पत्नी का ऋतुकाल समाप्त हो चुका था। शनिदेन की पत्नी ने उन्हें श्राप दिया कि मिलन की इच्छा होने पर भी आपने मेरी ओर नहीं देखा तो अब आप जिसे भी देखेंगे, उसका अहित हो जाएगा। यही कारण है शनिदेव की दृष्टि में दोष माना गया है।

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शनिदेव कैसे बनें पिता सूर्य के शत्रु?
पुराणों के अनुसार, जब सूर्यदेव की पत्नी का नाम संज्ञा है। एक बार संज्ञा अपनी छाया को सूर्यदेव की सेवा में छोड़कर स्वयं कहीं चली गई है। बाद में जब ये बात सूर्यदेव को पता चली तो छाया के प्रति उनका व्यवहार बदल गया। छाया का पुत्र होने से शनिदेव का रंग काला था। सूर्यदेव ने उन्हें कभई पिता का स्नेह नहीं दिया। जब ये बात शनिदेव को पता चली तो अपने पिता सूर्यदेव को अपना शत्रु मानने लगे। इसलिए ये मान्यता है कि शनि और सूर्य एक-दूसरे से शत्रुता रखते हैं।

शनिदेव को किसने दिया न्यायाधीश का पद?
पुराणों के अनुसार, शनिदेव शुरू से ही शिवजी के परम भक्त थे। शिवजी को प्रसन्न करने के लिए उन्होंने घोर तपस्या की। उनकी तपस्या से शिवजी प्रसन्न हुए और प्रकट होकर वरदान मांगने को कहा। शनिदेव के कहने पर शिवजी ने उन्हें तीनों लोकों के जीवित प्राणियों को उनके अच्छे-बुरे कर्मों का फल देने के लिए नियुक्त किया। इसी कारण शनिदेव को न्यायाधीश कहा जाता है।


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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