Khar Maas 2023: क्या होता है खर मास, इस बार कब से कब तक रहेगा? जानें हर वो बात जो आप जानना चाहते हैं

interesting fact of Khar Maas: खर मास के बारे में हम सभी थोड़ा बहुत जानते हैं। अधिकांश लोगों को सिर्फ ये पता है कि खर मास में शुभ कार्य जैसे विवाह आदि नही किए जाते। खर मास क्यों आता है, ये क्यों जरूरी है, ये बातें बहुत कम लोगों को पता है।

 

Manish Meharele | Published : Dec 14, 2023 11:02 AM IST

उज्जैन. ज्योतिष शास्त्र में खर मास के बारे में बताया गया है। खर मास से जुड़ी कईं मान्यताएं और परंपराएं प्रचलित हैं। कुछ लोग खर मास को अशुभ भी मानते हैं क्योंकि इसमें कोई भी मांगलिक कार्य जैसे विवाह आदि नहीं की जाती। खर मास हर साल में 2 बार आता है। इसका समय लगभग तय होता है। आगे जानिए क्या होता है खर मास, इस बार ये कब से कब तक रहेगा, आदि पूरी डिटेल…

क्या होता है खर मास? (Kya Hota Hai Khar Maas)
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब हर महीने में राशि परिवर्तन करता है। जब भी सूर्य गुरु ग्रह के स्वामित्व का राशि धनु और मीन में होता है तो इसे खर मास कहते हैं। ऐसा कहते हैं कि गुरु की राशि में सूर्य के जाने से इसके शुभ प्रभाव में कमी आ जाती है, जिससे कारण इस महीने में विवाह आदि शुभ कार्य नहीं किए जाते।

कब से कब तक रहेगा खर मास? (Khar Maas 2023 Date)
खर मास साल में दो बार आता है। पहला खर मास 16 मार्च से 15 अप्रैल तक रहता है, इस दौरान सूर्य मीन राशि में रहता है। दूसरा खर मास 16 दिसंबर से 14 जनवरी तक रहता है, इस दौरान सूर्य धनु राशि में रहता है। इस बार भी खर मास 16 दिसंबर 2023, शनिवार से शुरू हो रहा है जो 14 जनवरी 2024, रविवार तक रहेगा।

इस महीने में क्या करें-क्या नहीं? (Khar Maas Mai Kya Kare-kya Nahi)
खर मास में मांगलिक कार्य जैसे विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश आदि नहीं करना चाहिए। साथ ही इस महीने में मांस-मदिरा का सेवन न करें। तामसिक चीजें जैसे लहसुन-प्याज खाने से भी बचें। ब्रह्मचर्य का पालन करें। खर मास को ईश्वर भक्ति के लिए श्रेष्ठ माना गया। इस महीने में भगवान के मंत्रों का जाप और पूजा, दान, धार्मिक उपाय आदि करना चाहिए।

खर मास की कथा (Khar Maas Ki Katha)
हिंदी व्याकरण के अनुसार, खर का अर्थ है गधा। खर मास की कथा गधों से जुड़ी है, इसलिए इसे खर मास का नाम दिया गया है। पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार जब सूर्यदेव के रथ के घोड़े चलते-चलते थक गए, तब सूर्यदेव ने उन घोड़ों को रथ से निकालकर गधों को अपने रथ में जोत लिया। एक महीने तक सूर्यदेव का रथ गधों ने ही चलाया। यही एक महीने खर मास कहलाया।


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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