
Kushmanda Mata Ki Aarti Lyrics In Hindi: 25 सितंबर, गुरुवार को शारदीय नवरात्रि का चौथा दिन है। नवरात्रि की चौथी तिथि की देवी कूष्मांडा हैं। मान्यता है कि देवी कूष्मांडा की पूजा करने से लंबी उम्र और अच्छी सेहत मिलती है। देवी कुष्मांडा को 8 भुजाएं हैं, इसलिए इन्हें अष्टभुजी देवी भी कहा जाता है। इनकी 8 भुजाओं में कमंडल, धनुष, बाण, कमल का फूल, अमृत कलश, चक्र, गदा और जप की माला है। इनका वाहन शेर है। नवरात्रि की चतुर्थी तिथि पर इनकी पूजा के बाद आरती भी की जाती है। जानें कैसे करें देवी कूष्मांडा की आरती…
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- विधि-विधान से पूजा करने के बाद देवी कूष्मांडा की आरती करें। पहले 4 बार चरणों से, 2 बार नाभि से, 1 बार चेहरे पर से और 7 बार पूरे शरीर से। इस तरह कुल 14 बार माता की प्रतिमा के सामने आरती की थाली घुमानी चाहिए। इस तरह देवी कूष्मांडा की आरती करने से वन में आने वाले संकट टल जाते हैं और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
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कूष्मांडा जय जग सुखदानी। मुझ पर दया करो महारानी॥
पिगंला ज्वालामुखी निराली। शाकंबरी मां भोली भाली॥
लाखों नाम निराले तेरे। भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा। स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
सबकी सुनती हो जगदंबे। सुख पहुंचती हो मां अंबे॥
तेरे दर्शन का मैं प्यासा। पूर्ण कर दो मेरी आशा॥
मां के मन में ममता भारी। क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥
तेरे दर पर किया है डेरा। दूर करो मां संकट मेरा॥
मेरे कारज पूरे कर दो। मेरे तुम भंडारे भर दो॥
तेरा दास तुझे ही ध्याए। भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥
देवी कूष्मांडा को प्रसन्न करने के लिए मंत्र जाप भी आसान उपाय है। नवरात्रि के चौथे दिन देवी कूष्मांडा के मंत्रों का जाप विधि-विधान से करना चाहिए। इससे आपकी हर तरह की मनोकामना पूरी हो सकती है। ये हैं देवी कूष्मांडा के मंत्र…
पूजन मंत्र: ऊं कूष्माण्डायै नमः
बीज मंत्र: कुष्मांडा: ऐं ह्रीं देव्यै नम:
ध्यान मंत्र: या देवी सर्वभूतेषु मां कूष्मांडा रूपं संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥