Narak chaturdashi Ki Katha: क्यों मनाते हैं नरक चतुर्दशी, इस दिन किसकी पूजा करें?

Published : Oct 19, 2025, 07:57 AM IST
Narak chaturdashi Ki Katha

सार

Narak chaturdashi Ki Katha: धनतेरस के अगले दिन नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है। इसे रूप चतुर्दशी भी कहते हैं। नरक चतुर्दशी से जुड़ी अनेक कथाएं प्रचलित हैं। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा का विधान है।

Narak chaturdashi Ki Katha In Hindi: दिवाली उत्सव 5 दिनों तक मनाया जाता है। इसके दूसरे दिन नरक चतुर्दशी का पर्व मनाते हैं। इस बार ये पर्व 19 अक्टूबर, रविवार को मनाया जाएगा। इसे रूप चतुर्दशी और छोटी दिवाली भी कहा जाता है। नरक चतुर्दशी से जुड़ी अनेक मान्यताएं और परंपराएं प्रचलित हैं। नरक चतुर्दशी का पर्व क्यों मनाते हैं, इस दिन किसकी पूजा करें, इसके बारे में कम ही लोगों को पता है। आगे जानिए नरक चतुर्दशी की रोचक कथा…

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यहां पढ़ें नरक चतुर्दशी की कथा

- प्रचलित के अनुसार, प्राचीन समय में हिरण्यकश्यिपु नाम के एक दैत्य ने पृथ्वी को समुद्र में छिपा दिया था, तब भगवान विष्णु ने वराह अवतार लेकर उसका वध कर दिया और पृथ्वी को समुद्र से निकालकर पुन: अपने स्थान पर स्थापित कर दिया। वराह अवतार द्वारा पृथ्वी के स्पर्श करने से एक पराक्रमी पुत्र उत्पन्न हुआ, जिसका नाम नरकासुर था।

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- पृथ्वी के इस पुत्र नरकासुर ने ब्रह्मदेव को प्रसन्न कर अनेक वरदान उनसे प्राप्त कर लिए। उसे ये भी वरदान मिला था कि उसकी मृत्यु सिर्फ उसकी माता के हाथों से ही होगी। वरदान पाकर नरकासुर बहुत शक्तिशाली हो गया। वह जिस भी राजा को हराता था, उसकी रानी को बंदी बना लेता था, इस तरह उसने 16 हजार रानियों को कैद कर लिया था।
- द्वापरयुग में भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में और पृथ्वी ने उनकी पत्नी सत्यभामा के रूप में अवतार लिया। जब नरकासुर का अत्याचार बहुत बढ़ गया और श्रीकृष्ण को ये बात पता चली तो वे उससे युद्ध करने गए। श्रीकृष्ण के साथ उनकी पत्नी सत्यभामा भी थीं। नरकासुर और श्रीकृष्ण के बीच भयंकर युद्ध हुआ। युद्ध करते-करते श्रीकृष्ण कुछ देर के लिए विचलित हो गए।
- सत्यभामा ने जब श्रीकृष्ण की ये स्थिति देखी तो वे अपने रौद्र रूप में आ गईं और क्रोध में आकर उन्होंने नरकासुर का वध कर दिया। इस तरह नरकासुर अपनी ही माता के हाथों मारा गया। इसके बाद श्रीकृष्ण ने नरकासुर की कैद से 16 हजार महिलाओं को छुड़ाकर स्वतंत्र कर दिया। इसके अगले दिन यानी कार्तिक अमावस्या पर लोगों ने दीप जलाकर उत्सव मनाया।
- श्रीकृष्ण ने उन 16 हजार स्त्रियों को समाज में उचित स्थान देने के लिए उनके विवाह भी किया। नरकासुर का वध करने की खुशी में ही कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा विशेष रूप से की जाती है। नरक चतुर्दशी की कथा सुनने से यम यातना से मुक्ति मिलती है।

Disclaimer 
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

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