
Rama Ekadashi Vrat Katha In Hindi: धर्म ग्रंथों के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रमा एकादशी कहते हैं। इस व्रत का महत्व अनेक धर्म ग्रंथों में बताया गया है। इस व्रत को करने से व्यक्ति सभी पापों से मुक्त होकर भगवान विष्णु के लोक में जाकर निवास करता है। इस एकादशी का महत्व और कथा स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को सुनाई थी। आगे आप भी पढ़ें रमा एकादशी व्रत की रोचक कथा…
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किसी समय एक राज्य में मुचुकुन्द नाम का राजा रहते थे। वह भगवान विष्णु के परम भक्त थे। उनकी एक पुत्री थी, जिसका नाम चंद्रभागा था। समय आने वाले राजा मुचुकुन्द ने उसका विवाह राजा चंद्रसेन के पुत्र शोभन से करवा दिया। राजा मुचुकुन्द के राज्य में सभी व्रत एकादशी का व्रत कठोर नियमों से करते थे।
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एक बार शोभन जब अपने ससुराल आया तो उस समय कार्तिक मास की रमा एकादशी थी। न चाहते हुए भी शोभन को रमा एकादशी का व्रत करना पड़ा। भूखे-प्यासे रहने के कारण शोभन की मृत्यु हो गई। ये देख राजा मुचुकुन्द और चंद्रभागा को बहुत दुख हुआ। राजा ने शोभन के शव को नदी में प्रवाहित कर दिया।
रमा एकादशी व्रत के प्रभाव से भगवान विष्णु ने शोभन को जल से निकाल कर मन्दराचल पर्वत पर एक वैभवशाली राज्य प्रदान किया। शोभन उस नगर में सुखपूर्वक रहने लगा। एक दिन वहां सोमशर्मा नाम का एक ब्राह्मण आया, वह शोभन को जानता था। शोभन से उस ब्राह्मण को पूरी बात सच-सच बता दी।
शोभन ने ये भी कहा ‘ये नगर अस्थिर है।’ ब्राह्मण ने जब इसका कारण पूछा तो शोभन ने बताया ‘मैंने रमा एकादशी का व्रत विवश होकर और श्रद्धारहित किया था। इसलिए मुझे ये अस्थिर राज्य मिला है। मेरी पत्नी चंद्रभागा ही इस राज्य को स्थिर बना सकती है। इसलिए आप जाकर उसे पूरी बात बता दीजिए।’
सोमशर्मा ब्राह्मण ने पूरी बात आकर चंद्रभागा को बता दी। तब चंद्रभागा मदरांचल पर्वत के उस नगर के पास स्थित ऋषि वामदेव के आश्रम में ले गई। जहां ऋषि ने चन्द्रभागा का मन्त्रों से अभिषेक किया, जिससे उसका शरीर दिव्य हो गया और वह अपने पति के समीप चली गयी। शोभन ने अपनी पत्नी को सिंहासन पर बैठाया।
शोभन ने चंद्रभागा को पूरी बात सच-सच बता दी कि कैसे वह इस राज्य का राजा बना। चंद्रभागा ने अपने एकादशी व्रत के प्रभाव से उस अस्थिर नगर को स्थिर कर दिया और कहा ‘ये नगर अब प्रलय आने तक इसी प्रकार रहेगा।’ इस तरह शोभन और चंद्रभागा अपने दिव्य स्वरूप में उस नगर में सुखपूर्वक रहने लगे।
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इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।