
Govatsa Dwadashi 2025 Puja Vidhi: कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को गोवत्स द्वादशी का पर्व मनाया जाता है। धर्म ग्रंथों में इसका विशेष महत्व बताया गया है। इस व्रत के दौरान गाय तथा बछड़ों की पूजा की जाती है और उपवास भी किया जाता है। ये व्रत वैसे तो महिला प्रधान है, लेकिन पुरुष भी इसे कर सकते हैं। इस बार गोवत्स द्वादशी का व्रत कब करें, इसे लेकर कन्फ्यूजन की स्थिति है। आगे जानिए गोवत्स द्वादशी की सही डेट, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त की डिटेल…
ये भी पढ़ें-
धनतेरस 2025 पर खरीदी के 10 बेस्ट शुभ मुहूर्त, नोट करें टाइमिंग
पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि 17 अक्टूबर, शुक्रवार को दोपहर 11 बजकर 12 मिनिट से शुरू होगी जो अगले दिन यानी 18 अक्टूबर, शनिवार को दोपहर 12 बजकर 18 मिनिट तक रहेगी। चूंकि ये पर्व शाम को मनाया जाता है और ये स्थिति 17 अक्टूबर, शुक्रवार को बन रही है, इसलिए इसी दिन गोवत्स द्वादशी का पर्व मनाया जाएगा।
ये भी पढ़ें-
Dhanteras 2025 पर राशि अनुसार क्या खरीदने से चमकेगी किस्मत? जानें उज्जैन के ज्योतिषाचार्य से
17 अक्टूबर, शुक्रवार को बुधादित्य नाम का राजयोग बनेगा। साथ ही शुक्ल, ब्रह्म और सिद्धि नाम के 3 अन्य शुभ योग भी इस दिन रहेंगे। गोवत्स द्वादशी पर गाय-बछड़ों की पूजा प्रदोष काल यानी शाम को की जाती है। ये शुभ मुहूर्त शाम 05:49 से रात 08:20 तक रहेगा।
17 अक्टूबर, शुक्रवार की सुबह स्नान आदि करने के बाद हाथ में जल-चावल और फूल लेकर व्रत-पूजा का संकल्प लें। गाय और बछड़ों को नहलाएं और सजाएं। इस दिन इनसे कोई काम भी न लें। शाम को शुभ मुहूर्त में दूध देने वाली गाय और उसके बछडे़ को माला पहनाकर पूजा करें। इनके मस्तक पर कुमकुम से तिलक लगाएं। किसी बर्तन में पानी लें और इसमें चावल, तिल और फूल मिलाएं। इसके बाद इस पानी को गाए के पैरों पर डालते हुए ये मंत्र बोलें-
क्षीरोदार्णवसम्भूते सुरासुरनमस्कृते।
सर्वदेवमये मातर्गृहाणार्घ्य नमो नम:॥
गाय को रोटी व अन्य तरह-तरह के पकवान खिलाते हुए नीचे लिखा हुआ मंत्र बोलें-
सुरभि त्वं जगन्मातर्देवी विष्णुपदे स्थिता।
सर्वदेवमये ग्रासं मया दत्तमिमं ग्रस॥
तत: सर्वमये देवि सर्वदेवैरलड्कृते।
मातर्ममाभिलाषितं सफलं कुरु नन्दिनी॥
इस प्रकार गोवत्स द्वादशी पर गाय-बछड़े की पूजा करने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। साथ ही इस व्रत के शुभ प्रभाव से योग्य संतान की प्राप्ति भी संभव है।
Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।