
Saphala Ekadashi 2025 Kab Hai: धर्म ग्रंथों के अनुसार पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को सफला एकादशी कहते हैं। इस एकादशी का महत्व अनेक पुराणों में बताया गया है। स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को इस व्रत के बारे में बताया था। इस व्रत को करने से घर में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है। इस बार सफला एकादशी का व्रत 15 दिसंबर, सोमवार को किया जाएगा। आगे जानिए सफला एकादशी की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त आदि की डिटेल…
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सुबह 07:04 से 08:24 तक
सुबह 09:43 से 11:02 तक
दोपहर 12:00 से 12:43 तक (अभिजीत मुहूर्त)
दोपहर 01:41 से 03:00 तक
शाम 04:20 से 05:39 तक
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- 15 दिसंबर, सोमवार की सुबह जल्दी उठें और स्नान आदि करने के बाद हाथ में जल, चावल और फूल लेकर व्रत-पूजा का संकल्प लें। दिन भर व्रत के नियमों का पालन करें जैसे किसी से झूठ न बोलें, क्रोध न करें। मन में गलत विचार न लाएं।
- पूजा शुरू करने से पहले पूजा में उपयोग होने वाली सामग्री एक स्थान पर एकत्रित करके रख लें। ऊपर बताए किसी भी शुभ मुहूर्त से पहले घर में किसी स्थान को अच्छे से साफ कर लें और गंगा जल या गोमूत्र छिड़ककर इसे पवित्र कर लें।
- शुभ मुहूर्त में पूजा के लिए तय स्थान पर लकड़ी के पटिए पर वस्त्र बिछाकर इसके ऊपर भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। सबसे पहले भगवान को फूलों की माला पहनाएं और कुमकुम से तिलक भी लगाएं। शुद्ध घी का दीपक जलाएं।
- भगवान को फूल, फल, अबीर, गुलाल, रोली आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाते रहें। पूजा करते समय ऊं नम: भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप मन ही मन में लगातार करते रहें। इसके बाद भगवान को भोग लगाएं। इसमें तुलसी के पत्ते जरूर रखें।
- इस तरह पूजा करने के बाद भगवान विष्णु की विधि-विधान से आरती करें और प्रसाद भक्तों में बांट दें। पूरे दिन व्रत के नियमों का पालन करें यानी कुछ भी खाएं नहीं। अगर ऐसा करना संभव न हो तो एक समय भोजन फल या दूध ले सकते हैं।
- रात्रि में सोएं नहीं, जागते हुए भगवान के भजन गाएं या मंत्रों का जाप करें। अगले दिन यानी 16 दिसंबर, मंगलवार को सुबह एक बार फिर से भगवान की पूजा करें और ब्राह्मणों को भोजन करवाने के बाद दान-दक्षिणा देकर विदा करें।
- इसके बाद स्वयं भोजन व्रत का पारण करें। इस प्रकार जो व्यक्ति सफला एकादशी का व्रत विधि-विधान से करता है, उसके घर में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है। इस व्रत का महत्व स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को बताया था।
ऊं जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे ॥
॥ ऊं जय जगदीश हरे..॥
जो ध्यावे फल पावे, दुःख बिनसे मन का, स्वामी दुःख बिनसे मन का ।
सुख सम्पति घर आवे, सुख सम्पति घर आवे, कष्ट मिटे तन का ॥
॥ ऊं जय जगदीश हरे..॥
मात पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी, स्वामी शरण गहूं मैं किसकी ।
तुम बिन और न दूजा, तुम बिन और न दूजा, आस करूं मैं जिसकी ॥
॥ ऊं जय जगदीश हरे..॥
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी, स्वामी तुम अन्तर्यामी ।
पारब्रह्म परमेश्वर, पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सब के स्वामी ॥
॥ ऊं जय जगदीश हरे..॥
तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता, स्वामी तुम पालनकर्ता ।
मैं मूरख खलगामी, मैं सेवक तुम स्वामी, कृपा करो भर्ता॥
॥ ऊं जय जगदीश हरे..॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति, स्वामी सबके प्राणपति ।
किस विधि मिलूं दयामय, किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति ॥
॥ ऊं जय जगदीश हरे..॥
दीन-बन्धु दुःख-हर्ता, ठाकुर तुम मेरे, स्वामी रक्षक तुम मेरे ।
अपने हाथ उठाओ, अपने शरण लगाओ, द्वार पड़ा तेरे ॥
॥ ऊं जय जगदीश हरे..॥
विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा, स्वामी पाप हरो देवा ।
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, सन्तन की सेवा ॥
ऊं जय जगदीश हरे
स्वामी जय जगदीश हरे। भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे ॥
ऊं जय जगदीश हरे
Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।