Som Pradosh May 2024: 20 मई को शिव पूजा का दुर्लभ संयोग, क्यों खास रहेगा ये दिन? जानें पूजा विधि, मुहूर्त व अन्य खास बातें

Som Pradosh 2024: धर्म ग्रंथों में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व बताया गया है। ये व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। एक महीने में दो बार प्रदोष व्रत का संयोग बनता है।

 

Manish Meharele | Published : May 18, 2024 9:00 AM IST / Updated: May 18 2024, 02:32 PM IST

Som Pradosh May 2024 Details: हर महीने के दोनों पक्षों (शुक्ल और कृष्ण) की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है। इस व्रत में भगवान शिव की पूजा का विधान है। ये व्रत जिस वार को होता है, उसी के अनुसार, इसका नाम हो जाता है, जैसे यदि प्रदोष व्रत रविवार को हो तो ये रवि प्रदोष कहलाता है और सोमवार को हो तो सोम प्रदोष। इस बार मई 2024 में सोम प्रदोष का दुर्लभ संयोग बन रहा है। आगे जानिए कब है सोम प्रदोष…

मई 2024 में कब है सोम प्रदोष? (Kab Hai Som Pradosh May 2024)
पंचांग के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 20 मई, सोमवार की दोपहर 03:59 से शुरू होगी, जो 21 मई, मंगलवार की शाम 05:39 तक रहेगी। चूंकि प्रदोष व्रत में शाम को शिवजी की पूजा का विधान है और ये स्थिति 20 मई, सोमवार को बन रही है, इसलिए इसी दिन ये व्रत किया जाएगा।

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सोम प्रदोष का दुर्लभ संयोग
वैसे तो हर महीने में 2 बार प्रदोष व्रत किया जाता है, लेकिन सोम प्रदोष का दुर्लभ संयोग साल में 1-2 बार ही बनता है। चूंकि सोमवार और प्रदोष तिथि दोनों ही शिवजी से संबंधित इसलिए इसे दुर्लभ संयोग माना जाता है। इस बार ये दुर्लभ संयोग 20 मई को बन रहा है। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6 से रात 9 बजे तक रहेगा।

इस विधि से करें सोम प्रदोष व्रत (Som Pradosh 2024 Puja Vidhi)
20 मई, सोमवार को सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत-पूजा का विधिवतसंकल्प लें। दिन भर व्रत के नियमों का पालन करें और शाम को मुहूर्त से पहले पूजा की पूरी तैयारी कर लें। शुभ मुहूर्त में शिवजी की पूजा शुरू करें। ये पूजा घर पर या आस-पास स्थित किसी शिव मंदिर में भी कर सकते हैं। सबसे पहले शिवलिंग पर जल चढ़ाएं और बिल्व पत्र अर्पित करें। इसके बाद धतूरा, रोली, चावल आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाएं। शुद्ध घी का दीपक जलाएं। पूजा के दौरान ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करते रहें। महादेव को भोग भी लगाएं और आरती करें। इस व्रत से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

भगवान शिव की आरती (Lord shiva Aarti)
जय शिव ओंकारा प्रभु हर शिव ओंकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
अर्धांगी धारा ओम जय शिव ओंकारा
ओम जय शिव ओंकारा प्रभु हर शिव ओंकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
अर्धांगी धारा ओम जय शिव ओंकारा
एकानन चतुरानन पंचांनन राजे स्वामी पंचांनन राजे
हंसानन गरुड़ासन हंसानन गरुड़ासन
वृषवाहन साजे ओम जय शिव ओंकारा
दो भुज चारु चतुर्भूज दश भुज ते सोहें स्वामी दश भुज ते सोहें
तीनों रूप निरखता तीनों रूप निरखता
त्रिभुवन जन मोहें ओम जय शिव ओंकारा
अक्षमाला बनमाला मुंडमालाधारी स्वामी मुंडमालाधारी
त्रिपुरारी धनसाली चंदन मृदमग चंदा
करमालाधारी ओम जय शिव ओंकारा
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघाम्बर अंगें स्वामी बाघाम्बर अंगें
सनकादिक ब्रह्मादिक ब्रह्मादिक सनकादिक
भूतादिक संगें ओम जय शिव ओंकारा
करम श्रेष्ठ कमड़ंलू चक्र त्रिशूल धरता स्वामी चक्र त्रिशूल धरता
जगकर्ता जगहर्ता जगकर्ता जगहर्ता
जगपालनकर्ता ओम जय शिव ओंकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका स्वामी जानत अविवेका
प्रणवाक्षर के मध्यत प्रणवाक्षर के मध्य
ये तीनों एका ओम जय शिव ओंकारा
त्रिगुण स्वामीजी की आरती जो कोई नर गावें स्वामी जो कोई जन गावें
कहत शिवानंद स्वामी कहत शिवानंद स्वामी
मनवांछित फल पावें ओम जय शिव ओंकारा
ओम जय शिव ओंकारा प्रभू जय शिव ओंकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
अर्धांगी धारा ओम जय शिव ओंकारा
ओम जय शिव ओंकारा प्रभू हर शिव ओंकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
अर्धांगी धारा ओम जय शिव ओंकारा


डिस्क्लेमर
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो ज्योतिषियों द्वारा बताई गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

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