
Som Pradosh Vrat Katha: हिंदू कैलेंडर में हर महीने की दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है। प्रदोष व्रत जिस वार को होता है, उसी के अनुसार उसका नाम होता है। इस बार 23 जून को प्रदोष व्रत सोमवार को किया जाएगा, जिससे ये सोम प्रदोष कहलाएगा। सोम प्रदोष की एक कथा भी प्रचलित है। जो लोग सोम प्रदोष का व्रत करते हैं, उन्हें ये कथा जरूर सुननी चाहिए, तभी इस व्रत का पूरा फल मिलता है। आगे जानिए सोम प्रदोष की कथा…
धर्म ग्रंथों के अनुसार, एक नगर में एक गरीब ब्राह्मण स्त्री रहती थी। उसके पति की मृत्यु हो चुकी थी इसलिए वह भीख मांगकर अपना और अपने बेटे का गुजर बसर करती थी। एक दिन जब वह स्त्री भीख मांगकर घर लौट रही थी, तभी रास्ते में उसे एक लड़का घायल अवस्था में पड़ा हुआ दिखाई देगा।
ब्राह्मणी स्त्री उस लड़के को अपने साथ घर ले आई और उसका भी पालन-पोषण करने लगी। वह घायल लड़का विदर्भ का राजकुमार था, जिसे शत्रु देश के सैनिकों ने घायल कर दिया था और उसके राज्य पर अधिकार कर उसके पिता को बंदी बना लिया था जिस वजह से उस युवक की ये हालत हो गई थी।
वह राजकुमार ब्राह्मण स्त्री के घर में रहने लगा। जब वह लड़का युवा हुआ तो एक दिन अंशुमति नाम की एक गंधर्व कन्या ने उसे देखा और उस पर मोहित हो गई। उसने ये बात अपने पिता को बताई। उन्हें भी अपनी कन्या के लिए राजकुमार का रिश्ता अच्छा लगा, वे जान गए कि ये युवक एक राजकुमार है।
गंधर्व राज ने अपनी बेटी का विवाह उस राजकुमार से कर दिया। ब्राह्मण स्त्री प्रदोष व्रत करती थी, जिसके प्रभाव से गंधर्वराज की सेना की सहायता लेकर राजकुमार ने विदर्भ देश से शत्रुओं को भगा दिया और अपना राज्य फिर से प्राप्त कर लिया। राजकुमार ने ब्राह्मण पुत्र को अपना प्रधानमंत्री बनाया और सभी खुशी-खुशी विदर्भ देश में रहने लगे। ये सब ब्राह्मणी के प्रदोष व्रत करने से संभव हुआ।
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इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।