Mangal Pradosh Ki Katha: मंगल प्रदोष 8 जुलाई को, इस दिन जरूर सुने ये कथा, तभी मिलेगा व्रत का पूरा फल

Published : Jul 07, 2025, 05:04 PM IST
mangal pradosh katha

सार

Mangal Pradosh Ki Katha: हर महीने में दो बार प्रदोष व्रत किया जाता है। ये व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। इस व्रत की कथा सुने बिना इसका पूरा फल नहीं मिलता। आगे जाने मंगल प्रदोष की कथा। 

Mangal Pradosh Vrat Ki Katha: धर्म ग्रंथों के अनुसार, हर हिंदू मास में 2 पक्ष होते हैं जिन्हें शुक्ल और कृष्ण पक्ष कहा जाता है। इन दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है। इस व्रत में भगवान शिव की पूजा की जाती है। जब प्रदोष व्रत मंगलवार को किया जाता है, इसे मंगल प्रदोष कहते हैं। इस बार मंगल प्रदोष का शुभ संयोग 8 जुलाई, मंगलवार को बन रहा है। मंगल प्रदोष की कथा सुने बिना इसका पूरा फल नहीं मिलता। आगे जानें मंगल प्रदोष की कथा विस्तार से…

मंगल प्रदोष व्रत की कथा

प्राचीन समय में किसी गांव में एक वृद्ध महिला रहती थी। उसका एक पुत्र था, जिसका नाम मंगलिया था। वृद्धा हनुमानजी की परम भक्त थी। वह प्रत्येक मंगलवार को व्रत रख हनुमानजी की पूजा करती थी। मंगलवार को न तो वह घर लीपती और न ही मिट्टी खोदती। एक बार हनुमानजी के मन में वृद्धा की परीक्षा लेने का विचार आया।
हनुमानजी साधु का वेष बनाकर बुढ़िया के घर गए और बोले ‘है कोई हनुमान का भक्त जो हमारी इच्छा पूरी करे।’
आवाज सुनकर वृद्ध महिला घर से बाहर निकली। वृद्धा को देख साधु वेषधारी हनुमान जी बोले 'मुझे बहुत भूख लगी है, तू मेरे लिए थोड़ी सी जमीन लीप दे। जिससे में यहां भोजन पका सकूं।’
वृद्धा ने हाथ जोड़कर कहा ‘हे गुरुदेव, लीपने और मिट्टी खोदने के अलावा जो भी काम आप बोलेंगे, वह मैं करने को तैयार हूं। लेकिन साधु वेषधारी हनुमानजी अपनी बात पर अड़े रहे।
काफी देर बाद हनुमानजी ने कहा कि ‘तू अपने बेटे को बुला, मैं उसकी पीठ पर अग्नि जलाकर भोजन बनाऊंगा।’
ये सुनकर वृद्ध महिला घबरा गई लेकिन वह वचनबद्ध थी। अपना वचन निभाने के लिए उसने अपने बेटे को बुलाया और पूरी बात बताई। मंगलिया भी अपनी मां का वचन निभाने के लिए तैयार हो गया।
साधु वेषधारी हनुमानजी ने मंगलिया की पीठ पर आग जलाकर भोजन पकाया। वचनबद्ध होने के कारण वृद्ध महिला कुछ न सकी।
जब भोजन बना तो साधु वेषधारी हनुमानजी ने वृद्ध महिला से कहा ‘मंगलिया को आवाज लगाओ ताकि वो भी हमारे साथ भोजन कर सके।’
वृद्ध महिला ने कहा ‘ऐसा कैसे हो सकता है महाराज वह तो अग्नि में जलकर भस्म हो चुका है।’
साधु ने महिला को एक बार फिर मंगलिया को आवाज लगाने को कहा। जैसे ही बुढ़िया ने आवाज लगाई मंगलिया घर के अंदर से दौड़ता चला आया। मंगलिया को देख बुढ़िया को खुशी के साथ आश्चर्य भी हुआ।
तब हनुमानजी ने उसे अपना असली रूप दिखाकर आशीर्वाद दिया जिससे उसका पूरा जीवन सुख-चैन से कट गया।


Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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