Utpanna Ekadashi Vrat Katha: क्यों करते हैं उत्पन्ना एकादशी व्रत? यहां पढ़ें रोचक कथा

Published : Nov 15, 2025, 08:53 AM IST
Utpanna Ekadashi Vrat Katha

सार

Utpanna Ekadashi Vrat Katha: इस बार उत्पन्ना एकादशी का व्रत 15 नवंबर, शनिवार को किया जाएगा। इस एकादशी का महत्व पुराणों में भी बताया गया है। इससे जुड़ी एक रोचक कथा भी है, जिसे सुनने के बाद ही इस व्रत का पूरा फल मिलता है।

Utpanna Ekadashi 2025: हर साल अगहन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी का व्रत किया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। इस एकादशी का महत्व धर्म ग्रंथों में भी बताया गया है, उसके अनुसार, इसी दिन एकादशी तिथि प्रकट हुई थीं, इसलिए इसे उत्पन्ना एकादशी कहते हैं। इस एकादशी से जुड़ी एक कथा भी है जिसे व्रत करने वाले को जरूर सुनना चाहिए, तभी इसका पूरा फल मिलता है। आगे पढ़ें उत्पन्ना एकादशी की रोचक कथा…

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उत्पन्ना एकादशी की कथा (Story Of Utpanna Ekadashi)

- धर्म ग्रंथों के अनुसार, ‘किसी समय मूर नाम का एक दैत्य था। वह बहुत पराक्रमी और शक्तिशाली था, उसके पास कईं वरदान भी थे। इन वरदानों से प्राप्त शक्ति से उसने इंद्र सहित सभी देवताओं का पराजित कर स्वर्ग पर अधिकार कर लिया था।

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- जब सभी देवता मिलकर भी मूर का पराजित नहीं कर पाए तो वे सभी भगवान विष्णु के पास गए और अपनी समस्या बताई। देवताओं की बात सुनकर भगवान विष्णु मूर राक्षस से युद्ध को तैयार हो गए और उसे युद्ध के लिए ललकारा।
- इस तरह भगवान विष्णु और मूर राक्षस के बीच युद्ध शुरू हुआ जो अनेक सालों तक चलता रहे, लेकिन इसका कोई परिणाम नहीं निकला। भगवान विष्णु थककर बद्रीकाश्रम चले गए और एक गुफा में जाकर विश्राम करने लगे।
- मूर राक्षस भी वहां आ गया और भगवान विष्णु पर आक्रमण कर दिया। तभी भगवान विष्णु के शरीर से एक स्त्री प्रकट हुई और मूर राक्षस से युद्ध करने लगी। देखते ही देखते उस सुंदर स्त्री ने मूर राक्षस का वध कर दिया।
- तब भगवान विष्णु विश्राम से जागे तो उन्होंने उस स्त्री का परिचय पूछा। स्त्री ने बताया ‘मैं आपके ही शरीर से उत्पन्न एकादशी तिथि हूं।’ तब भगवान विष्णु ने एकादशी तिथि को अनेक वरदान दिए और सबसे पवित्र तिथि का पद भी दिया।
- भगवान विष्णु ने कहा ‘मेरे सभी भक्त एकादशी तिथि पर व्रत रखकर मुझे प्रसन्न करेंगे। जो लोग तुम्हारी पूजा करेंगे, वे भी मेरे भक्त कहलाएंगे। तुम्हारी प्रकट तिथि को उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाएगा।’
- इस तरह भगवान विष्णु से वरदान पाकर एकादशी तिथि परम पवित्र हो गई। उत्पन्ना एकादशी का व्रत करने वाले व्यक्ति को ये कथा जरूर सुननी चाहिए, तभी इस व्रत का पूरा फल मिलता है और मृत्यु के बाद उसे परम गति मिलती है।


Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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