
Dhumavati Jayanti 2025 Kab Hai: ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को देवी धूमावती की जयंती मनाई जाती है। इस बार ये पर्व 3 जून, मंगलवार को है। देवी धूमावती 10 महाविद्याओं में से एक हैं। तंत्र-मंत्र की सिद्धियों के लिए इनकी पूजा की जाती है। इन्हें देवी लक्ष्मी की बहन कहा जाता है और इनका अन्य नाम अलक्ष्मी भी है। विद्वानों के अनुसार सुहागिन महिलाओं को देवी धूमावती की पूजा नहीं करनी चाहिए। देवी के इस स्वरूप से जुड़ी अनेक रहस्यमयी बातें ग्रंथों में बताई गई है। आगे जानिए देवी धूमावती से जुड़ी रहस्यमयी बातें
देवी धूमावती का स्वरूप बहुत ही विकराल और विधवा स्त्री के समान है। मान्यता है कि जिस पर भी इनकी नजर पड़ती है, उसके बुरे दिन शुरू हो जाते हैं और उसके सौभाग्य में कमी आने लगती है, इसलिए सुहागिन महिलाओं को देवी धूमावती की पूजा करने की मनाही है। इन्हें अलक्ष्मी भी कहते हैं क्योंकि इनके अशुभ प्रभाव से अमीर व्यक्ति भी गरीब बन सकता है।
- सुबह 09:04 से 10:44 तक
- सुबह 10:44 से दोपहर 12:25 तक
- दोपहर 12:25 से 02:05 तक
- दोपहर 03:45 से शाम 05:25 तक
- धूमावती जयंती के दिन यानी 3 जून, मंगलवार को सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें।
- शुभ मुहूर्त में देवी धूमावती का चित्र स्थापित कर पूजा शुरू करें। सबसे पहले कुमकुम से तिलक करें और फूलों की माला पहनाएं।
- देवी के सामने शुद्ध घी की दीपक लगाएं। इसके बाद सिंदूर, कुमकुम, चावल, फल, धूप आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाते रहें।
- पूजा के दौरान ऊं धूमावत्यै विद्महे संहारिण्यै धीमहि तन्नो धूमा प्रचोदयात् मंत्र का जाप करते रहें और देवी को भोग लगाएं।
- सबसे अंत में मां धूमावती की कथा सुनें और आरती करें। इस तरह मां धूमावती की पूजा से सभी पापों का नाश हो जाता है।
Disclaimer
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