Mangala Gauri Vrat 2025: कब करें सावन 2025 का पहला मंगला गौरी व्रत? जानें डेट, पूजा विधि-मंत्र और मुहूर्त

Published : Jul 11, 2025, 03:44 PM IST
mangala gouri vrat 2025

सार

Mangala Gauri Vrat 2025: 11 जुलाई से सावन मास शुरू हो चुका है। सावन के प्रत्येक मंगलवार को मंगला गौरी व्रत किया जाता है। इस व्रत में देवी पार्वती की पूजा का विधान है। 

Mangala Gauri Vrat 2025 Details: सावन मास में अनेक व्रत किए जाते हैं, मंगला गौरी भी इनमें से एक है। ये व्रत सावन मास के प्रत्येक सोमवार को किया जाता है। इस व्रत में देवी पार्वती की पूजा करने का विधान है। महिलाएं ये व्रत अपने घर की सुख-समृद्धि और शांति के लिए करती हैं। अनेक धर्म ग्रंथों में इस व्रत का महत्व बताया गया है। आगे जानिए सावन 2025 में कब करें पहला मंगला गौरी व्रत, पूजा विधि, मंत्र सहित पूरी डिटेल…

कब है सावन 2025 का पहला मंगला गौरी व्रत?

सावन 2025 की शुरूआत 11 जुलाई, शुक्रवार से हो चुकी है। सावन का पहला मंगलवार 15 जुलाई को है, इसी दिन पहला मंगला गौरी व्रत भी किया जाएगा। इस दिन सौभाग्य और शोभन नाम के शुभ योग बनेंगे। इस दिन सूर्य और गुरु मिथुन राशि में रहेंगे, जिससे गुरु आदित्य नाम का योग भी रहेगा, जो बहुत शुभ फल देने वाला माना गया है।

15 जुलाई 2025 मंगला गौरी व्रत शुभ मुहूर्त

सुबह 09:13 से 10:53 तक
दोपहर 12:06 से 12:59 तक
दोपहर 12:32 से 02:12 तक
दोपहर 03:52 से 05:31 तक

मंगला गौरी व्रत-पूजा विधि (Mangala Gauri Vrat Vidhi)

- 15 जुलाई, मंगलवार की सुबह स्नान आदि करने के बाद हाथ में जल, चावल और फूल लेकर मंगला गौरी व्रत-पूजा का संकल्प लें। दिन भर व्रत के नियमों का पालन करें।
- ऊपर बताए किसी शुभ मुहूर्त में देवी पार्वती का चित्र घर में एक बाजोट के ऊपर स्थापित करें। देवी के चित्र पर हार पहनाएं और कुमकुम से तिलक लगाएं।
- शुद्ध घी का दीपक जलाएं और एक-एक करके अबीर, गुलाल, रोली, फूल चावल, पान-सुपारी आदि चीजें चढ़ाएं। मन ही मन में देवी पार्वती के मंत्र का जाप भी करें।
- अपनी इच्छा अनुसार सुहाग की सामग्री जैसे- चुनरी, सिंदूर, चूड़ी, बिंदी, मेहंदी, हल्दी आदि भी देवी को चढ़ाएं। देवी को भोग लगाकर आरती करें।

देवी पार्वती की आरती

जय पार्वती माता, जय पार्वती माता
ब्रह्मा सनातन देवी, शुभ फल की दाता।
॥ जय पार्वती माता... ॥
अरिकुल कंटक नासनि, निज सेवक त्राता,
जगजननी जगदम्बा, हरिहर गुण गाता ।
॥ जय पार्वती माता... ॥
सिंह को वहान साजे, कुंडल है साथा,
देव वधू जस गावत, नृत्य करत ता था।
॥ जय पार्वती माता... ॥
सतयुग रूप शील अतिसुंदर, नाम सती कहलाता,
हेमाचंल घर जन्मी, सखियाँ संगराता ।
॥ जय पार्वती माता... ॥
शुम्भ निशुम्भ विदारे, हेमाचंल स्थाता,
सहस्त्र भुजा तनु धरिके, चक्र लियो हाथा ।
॥ जय पार्वती माता... ॥
सृष्टि रूप तुही है जननी, शिव संग रंगराता,
नन्दी भृंगी बीन लही, सारा जग मदमाता ।
॥ जय पार्वती माता... ॥
देवन अरज करत हम, चरण ध्यान लाता,
तेरी कृपा रहे तो, मन नहीं भरमाता ।
॥ जय पार्वती माता... ॥
मैया जी की आरती, भक्ति भाव से जो नर गाता,
नित्य सुखी रह करके, सुख संपत्ति पाता ।
॥ जय पार्वती माता... ॥
जय पार्वती माता, जय पार्वती माता,
ब्रह्मा सनातन देवी, शुभ फल की दाता ।
जय पार्वती माता, जय पार्वती माता
ब्रह्मा सनातन देवी, शुभ फल की दाता ।


Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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