
Angarak Chaturthi July 2024 Kab Hai: धर्म ग्रंथों में अंगारक चतुर्थी का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन भगवान श्रीगणेश के साथ-साथ मंगल ग्रह की शांति के लिए विशेष उपाय व पूजा आदि की जाती है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार जिस मंगलवार को चतुर्थी तिथि का संयोग बनता है, उसे अंगारक चतुर्थी कहते हैं। इस बार जुलाई 2024 में अंगारक चतुर्थी का शुभ योग बन रहा है। आगे जानिए जुलाई 2024 में कब है अंगारक चतुर्थी…
जुलाई 2024 में कब है अंगारक चतुर्थी?
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, 9 जुलाई, मंगलवार को आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि रहेगी। इस तरह चतुर्थी तिथि और मंगलवार का संयोग होने से ये अंगारक चतुर्थी कहलाएगी। इस शुभ योग में भगवान श्रीगणेश के साथ-साथ मंगलदेव की पूजा का भी विशेष महत्व है। इस दिन सर्वार्थसिद्ध और आनंद नाम के 2 शुभ योग भी रहेंगे।
इस विधि से करें अंगारक चतुर्थी व्रत-पूजा (Angarak Chaturthi July 2024 Puja Vidhi)
9 जुलाई, मंगलवार की सुबह स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। पूजन स्थान को गंगाजल या गोमूत्र छिड़ककर पवित्र करें। सबसे पहले पूजा स्थान पर बाजोट यानी पटिया रखकर इसके ऊपर भगवान श्रीगणेश का चित्र स्थापित करें। भगवान की प्रतिमा को फूलों की माला पहनाएं, तिलक लगाएं। शुद्ध घी का दीपक भी जलाएं। दूर्वा, अबीर, गुलाल, चावल रोली, हल्दी आदि चीजें भगवान को चढ़ाएं। पूजा करते समय ऊं गं गणेशाय नम: मंत्र का जाप करें। अंत में लड्डू का भोग लगाएं और आरती करें। चंद्रमा उदय हो जाए तो उसे भी जल से अर्ध्य दें और पूजा करें। इसके बाद स्वयं भोजन करें।
भगवान श्रीगणेश की आरती (Lord Ganesha Aarti)
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
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