Ashadha Gupt Navratri 2024: कब से शुरू होगी आषाढ़ गुप्त नवरात्रि, कैसे करें घट स्थापना? जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

Ashadha Gupt Navratri 2024: हिंदू पंचांग के चौथे महीने आषाढ़ मास में गुप्त नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस नवरात्रि का तंत्र-मंत्र की दृष्टि से विशेष महत्व ग्रंथों में बताया गया है।

 

Ashadha Gupt Navratri 2024: धर्म ग्रंथों के अनुसार, एक साल में 4 नवरात्रि होती है, इनमें से 2 प्रकट और 2 गुप्त नवरात्रि होती है। आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तिथि तक गुप्त नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। तंत्र-मंत्र की दृष्टि से इस नवरात्रि का विशेष महत्व है। इस गुप्त नवरात्रि में संहारकर्ता शक्तियों जैसे भैरवी, भैरव, डाकिनी-शाकिनी और काली आदि की पूजा की जाती है। जानें इस बार ये नवरात्रि कब से कब तक मनाई जाएगी, साथ ही घट स्थापना की विधि, मंत्र, शुभ मुहूर्त, आरती सहित पूरी डिटेल…

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2024 कब से शुरू होगी? (Ashadha Gupt Navratri 2024 Kab Se Shuru Hogi)
पंचांग के अनुसार, इस बार आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 6 जुलाई, शनिवार को रहेगी। यानी इसी दिन से आषाढ़ गुप्त नवरात्रि भी शुरू होगी, जो 15 जुलाई, सोमवार तक रहेगी। इस बार ये गुप्त नवरात्रि 9 दिनों की न होकर 10 दिन की रहेगी, ऐसा चतुर्थी तिथि की वृद्धि होने से होगा।

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आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2024 घट स्थापना मुहूर्त (Ashadha Gupt Navratri 2024 Shubh Muhurat)
6 जुलाई, शनिवार से आषाढ़ गुप्त नवरात्रि शुरू होगी। इसी दिन घट स्थापना भी की जाएगी। घट स्थापना के लिए 2 शुभ मुहूर्त इस दिन बन रहे हैं, जो इस प्रकार हैं-
घट स्थापना मुहूर्त- सुबह 05:29 से 10:07
(अवधि- 04 घण्टे 38 मिनिट)
घटस्थापना अभिजित मुहूर्त- सुबह 11:58 से दोपहर 12:54 तक
(अवधि- 56 मिनिट)

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2024 घट स्थापना और पूजा की विधि (Ghat Sthapna Vidhi Ashadha Gupt Navratri 2024)
- घट स्थापना से पहले सभी जरूर चीजें एक स्थान पर इकट्ठा कर लें। ऊपर बताए गए शुभ मुहूर्त से पहले जिस स्थान पर आप घट स्थापना करना चाहते हैं, उसे गंगाजल या गौमूत्र छिड़कर पवित्र कर लें।
- इस स्थान पर लकड़ी का बाजोट यानी पटिया रखें। इसके ऊपर लाल कपड़ा बिछाएं। तांबे का कलश में शुद्ध जल भरकर पटिए पर रख दें, बाद में इसे अपने स्थान से बिल्कुल न हिलाएं।
- कलश पर स्वस्तिक का चिह्न बनाएं और पूजा का धागा बांधे। कलश में चंदन, रोली, हल्दी, फूल, दूर्वा आदि चीजें डालें। इसे नारियल से ढंक दें और ये मंत्र बोलकर कलश स्थापना करें- ऊं नमश्चण्डिकाये।
- कलश के पास ही देवी का एक चित्र या प्रतिमा भी स्थापित करें। वहीं पर शुद्ध घी का दीपक लगाएं और इच्छा अनुसार भोग लगाएं। नवरात्रि में रोज कलश और देवी प्रतिमा की विधि-विधान से पूजा करें।
- गुप्त नवरात्रि के समापन (15 जुलाई) पर इस कलश को किसी नदी या तालाब में प्रवाहित कर दें। साथ ही अन्य पूजन सामग्री भी। देवी की प्रतिमा को अपने पूजा स्थान पर रख सकते हैं।

मां दुर्गा की आरती (Devi Durga Ki Aarti)
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिव री ॥1॥ जय अम्बे…
माँग सिंदुर विराजत टीको मृगमदको।
उज्ज्वल से दोउ नैना, चन्द्रवदन नीको ॥2॥ जय अम्बे.…
कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै।
रक्त-पुष्प गल माला, कण्ठनपर साजै ॥3॥ जय अम्बे…
केहरी वाहन राजत, खड्ग खपर धारी।
सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहरी ॥4॥ जय अम्बे…
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।
कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योती ॥5॥ जय अम्बे…
शुंभ निशुंभ विदारे, महिषासुर-धाती।
धूम्रविलोचन नैना निशिदिन मदमाती ॥6॥ जय अम्बे…
चण्ड मुण्ड संहारे, शोणितबीज हरे।
मधु कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ॥7॥ जय अम्बे…
ब्रह्माणी, रूद्राणी तुम कमलारानी।
आगम-निगम-बखानी, तुम शिव पटरानी ॥8॥ जय अम्बे…
चौसठ योगिनि गावत, नृत्य करत भैरूँ।
बाजत ताल मृदंगा औ बाजत डमरू ॥9॥ जय अम्बे…
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।
भक्तन की दुख हरता सुख सम्पति करता ॥10॥ जय अम्बे…
भुजा चार अति शोभित, वर मुद्रा धारी।
मनवाञ्छित फल पावत, सेवत नर-नारी ॥11॥ जय अम्बे…
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
(श्री) मालकेतु में राजत कोटिरतन ज्योती ॥12॥ जय अम्बे…
(श्री) अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख सम्पति पावै ॥13॥ जय अम्बे...


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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