
Mandir Ke Shikhar Ka Darshan Kyo Karna Chahiye: अयोध्या राम मंदिर में 5 जून को राम दरबार की स्थापना की जाएगी। इसके पहले राम मंदिर के मुख्य परिसर पर लगे शिखर पर सोने की परत चढ़ाई गई, जिससे मंदिर की भव्यता और भी अधिक बढ़ गई है। सोने से मढ़ा हुआ ये शिखर दूर से ही अपनी चमक बिखेर रहा है। विद्वानों का कहना है कोई भी मंदिर तभी पूर्ण होता है, जब उसके ऊपर शिखर होता है। मंदिर के शिखर का महत्व अनेक धर्म ग्रंथों में बताया गया है। जानें धर्म ग्रंथों में क्या लिखा है मंदिर के शिखर के बारे में…
उज्जैन के ज्योतिाषाचार्य पं. नलिन शर्मा के अनुसार, किसी भी मंदिर की पूर्णता उसके शिखर के साथ ही पूरी होती है। शिखर मंदिर का सबसे ऊंचा स्थान होता है। इसी के पास में ध्वजा भी लगाई जाती है जो मंदिर की सुंदरता को और भी बढ़ा देती है। शिखर शब्द संस्कृत भाषा से लिया गया है जिसका अर्थ है पहाड़ की चोटी। मंदिर पर शिखर स्थापित होने के बाद वहां की पॉजिटिव एनर्जी में बढ़ोत्तरी होती है, जिसका फायदा वहां आने वाले लोगों को होता है।
जब हम किसी भी मंदिर में जाते हैं तो उसके शिखर के दर्शन भी जरूर करने चाहिए। धर्म ग्रंथों में लिखा है शिखर दर्शन पाप नाशनम यानी अगर किसी वजह से आप मंदिर में भगवान की प्रतिमा के दर्शन करने न जाएं तो उसके शिखर के दर्शन करने से ही आपके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। इसलिए मंदिर में शिखर का होना जरूरी माना गया है।
जब भी किसी मंदिर में जाएं तो वहां के शिखर के दर्शन भी करें। शिखर दर्शन करते समय हाथ जोड़कर वहां स्थापित ध्वजा को प्रणाम करें और भगवा का ध्यान करते हुए मन ही मन में अपनी मनोकामना कहें। इस प्रकार शिखर दर्शन करने से आपकी हर इच्छा पूरी हो सकती है।
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