Bahula Chaturthi 2023: बहुला चतुर्थी पर 6 शुभ योगों का दुर्लभ संयोग, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, महत्व और कथा

Bahula Chaturthi 2023: इस बार 13 सितंबर, रविवार को बहुला चतुर्थी का व्रत किया जाएगा। बहुला चौथ में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा का महत्व है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से योग्य संतान की प्राप्ति होती है।

 

Manish Meharele | Published : Sep 1, 2023 4:09 AM IST / Updated: Sep 03 2023, 08:19 AM IST

उज्जैन. धर्म ग्रंथों के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को बहुला चतुर्थी (Bahula Chaturthi 2023) का व्रत किया जाता है। इस बार ये तिथि 3 सितंबर, रविवार को है। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और गाय की पूजा करने से संतान सुख मिलता है और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। आगे जानिए बहुला चतुर्थी की पूजा विधि, महत्व व शुभ मुहुर्त…

बहुला चतुर्थी 2023 के शुभ मुहुर्त (Bahula Chaturthi 2023 Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 2 सितंबर, की रात 08:49 से 03 सितंबर की शाम 06:24 तक रहेगी। रविवार को रेवती नक्षत्र होने से वर्धमान और अश्विनी नक्षत्र होने से आनंद नाम के शुभ योग बनेंगे। इनके अलावा इस दिन बुधादित्य, सर्वार्थसिद्धि, वृद्धि और ध्रुव नाम के 4 अन्य शुभ योग भी रहेंगे। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06:28 से 06:54 तक यानी लगभग 25 मिनट का रहेगा।

बहुला चतुर्थी की पूजा विधि (Bahula Chaturthi 2023 Puja Vidhi)
- 3 सितंबर, रविवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। शाम को शुभ मुहूर्त में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करें।
- पूजा के लिए भगवान श्रीकृष्ण के किसी ऐसे चित्र या प्रतिमा को पूजा स्थान पर स्थापित करें, जिसमें उनके साथ गाय भी हो।
- सबसे पहले भगवान को कुमकुम तिलक लगाएं और हार-फूल अर्पित करें। शुद्ध घी का दीपक जलाएं। इसके बाद अबीर-गुलाल आदि चीजें चढ़ाएं।
- भगवान श्रीकृष्ण की पूजा के बाद गाय सहित बछडे़ की पूजा करें। तांबे के बर्तन में पानी, चावल, तिल और फूल मिलाकर नीचे लिखा मंत्र बोलते हुए गाए के पैरों पर डालें।
क्षीरोदार्णवसम्भूते सुरासुरनमस्कृते।
सर्वदेवमये मातर्गृहाणार्घ्य नमो नम:॥
- इस तरह भगवान श्रीकृष्ण और गाय की पूजा से संतान सुख मिलता है। इस दिन गौवंश के उत्पाद जैसे दूध आदि का उपयोग न करें।

ये है बहुला चतुर्थी की कथा
किसी गांव में एक ब्राह्मण रहता था। उसके पास बहुला नाम की एक गाय थी। एक दिन बहुला घास चरते हुए अपने झुण्ड से बिछड़ गई और जंगल में चली गई, वहां उसके सामने शेर आ गया।
शेर उसे खाने ही वाला था कि बहुला ने कहा कि ‘ मेरा बछड़ा सुबह से मेरी राह देख रहा है और वह भूखा भी है। उसे दूध पिलाकर मैं वापस तुम्हारे पर लौट आऊंगी, तब तुम मुझे खा लेना।
पहले तो शेर को बहुला पर विश्वास नहीं हुआ, लेकिन बाद में वह मान गया। बहुला जब घर पहुंची तो बछड़ा उसका इंतजार कर रहा था। दूध पिलाने के बाद उसने अपने बछड़े को बहुत प्यार किया।
बछड़े को सुलाकर बहुला जंगल में शेर के पास चली गई। बहुला को अपने धर्म और वचन के प्रति सच्चा देख शेर ने उसे छोड़ दिया। बहुला खुशी-खुशी अपने घर लौट आई और बछडे़ के साथ रहने लगी।


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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