Baisakhi 2023: क्या है खालसा पंथ, किसने की इसकी स्थापना ? जानें हर बात जो आप जानना चाहते हैं

Baisakhi 2023: इस बार 14 अप्रैल, शुक्रवार को बैसाखी का पर्व मनाया जाएगा। वैसे तो ये पर्व पूरे देश में मनाया जाता है, लेकिन मुख्य रूप से पंजाबियों का त्योहार है। इस दिन पंजाब में लोग नाच-गाकर ये उत्सव मनाते हैं।

 

Manish Meharele | Published : Apr 13, 2023 10:41 AM IST

उज्जैन. बैसाखी (Baisakhi 2023) सिक्खों का प्रमुख त्योहार है। इस बार ये पर्व 14 अप्रैल, शुक्रवार को मनाया जाएगा। वैसे तो ये पर्व नई फसल पकने की खुशी में मनाया जाता है, लेकिन इससे और भी कई परंपराएं और मान्यताएं जुड़ी हुई है जो इसे खास बनाती हैं। सिक्खों से दसवें गुरु गोविंदसिंह ने 1699 में बैसाखी पर ही खालसा पंथ की स्थापना की थी। खालसा पंथ सिक्ख धर्म का ही हिस्सा है। आगे जानें खालसा पंथ से जुड़ी खास बातें…

क्या है खालसा पंथ? (What is Khalsa Panth?)
अरबी भाषा में एक शब्द है खालिस जिसका अर्थ है शुद्ध। यही से खालसा शब्द लिया गया। जब मुगलों का आतंक काफी बढ़ गया और उन्होंने गुरु तेगबहादुर का कत्ल कर दिया। तब गुरु गोविंदसिंह ने 1699 की बैसाखी पर आनंदपुर में सभी सिक्खों को आने के लिए कहा। वहां गुरु गोविंदसिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की, जिसका काम अधर्म के विरुद्ध युद्ध करना है।

ऐसे हुई खालसा पंथ की स्थापना (Who founded the Khalsa Panth)
1699 की बैसाखी पर आनंदपुर साहिब में गुरु गोविंदसिंह ने एक सभा बुलाई। सभा में उपस्थित लोगों से गुरु गोविंदसिंह ने कहा “जो व्यक्ति अपना जीवन बलिदान करने के लिए तैयार हैं, वे ही आगे आएं।“ भीड़ में से एक जवान लड़का बाहर आया। गुरु जी उसे अपने साथ तंबू के अंदर ले गए और खून से सनी तलवार लेकर बाहर आए। दोबारा गुरु गोविंदसिंह ने अपनी बात दोहराई। इस बार भी एक युवक उनके पास आया। ऐसा 5 बार हुआ। बाद में वे पांचों युवक जब तंबू से निकले तो उन्होंने सफेद पगड़ी और केसरिया रंग के कपड़े पहने हुए थे। यही पांच युवक 'पंच प्यारे' कहलाए।

कौन थे पंच प्यारे? (Who were Panch Pyare?)
जिन पांच युवकों को गुरु गोविंदसिंह ने पंच प्यारे बनाए, उनके नाम दया राम (भाई दया सिंह जी), धर्म दास (भाई धर्म सिंह जी), हिम्मत राय (भाई हिम्मत सिंह जी), मोहकम चंद (भाई मोहकम सिंह जी), और साहिब चंद (भाई साहिब सिंह जी) था। इन पंच प्यारों को गुरु जी ने अमृत (शक्कर मिश्रित जल) चखाया। इसके बाद सभा में आए सभी लोगों को ये जल पिलाया गया। इस सभा में मौजूद हर धर्म के अनुयायी ने अमृत चखा और खालसा पंथ का सदस्य बन गया।



ये भी पढ़ें-

Baisakhi 2023 Date: कब मनाई जाएगी बैसाखी 13 या 14 अप्रैल को, क्यों मनाते हैं ये उत्सव? जानें इसका इतिहास


Varuthini Ekadashi 2023 Date: मृत्यु पंचक और राक्षस योग में किया जाएगा वरुथिनी एकादशी व्रत, जानें सही डेट


Chandal Yog 2023: कब से शुरू होगा चांडाल योग, कितने दिनों तक रहेगा, किन राशियों पर टूटेगा कहर?


Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें। आर्टिकल पर भरोसा करके अगर आप कुछ उपाय या अन्य कोई कार्य करना चाहते हैं तो इसके लिए आप स्वतः जिम्मेदार होंगे। हम इसके लिए उत्तरदायी नहीं होंगे।

 

Share this article
click me!