Vishu Festival 2023: विषु केरल के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस बार ये पर्व 15 अप्रैल, शनिवार को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा विशेष रूप से की जाती है। इस दिन से मलयाली नया साल शुरू होता है।
उज्जैन. हमारे देश में नए साल को लेकर कई मान्यताएं और परंपराएं हैं। मलयाली कैलेंडर में नया साल तब शुरू होता है, जब सूर्य मीन से निकलकर मेष राशि में प्रवेश करता है। (Vishu Festival 2023) इस बार 14 अप्रैल की दोपहर को सूर्य मेष राशि में प्रवेश करेगा, इसके अगले दिन यानी 15 अप्रैल, शनिवार को केरल व इसके आस-पास के क्षेत्रों में नए साल के मौके पर विषु उत्सव मनाया जाएगा। आगे जानिए क्या है विषु उत्सव व इससे जुड़ी खास बातें…
विषु पर्व पर क्यों करते हैं भगवान विष्णु की पूजा?
स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने जब राक्षस नरकासुर का वध किया तो तभी से विषु उत्सव मनाने की शुरूआत हुई। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा भी विशेष रूप से की जाती है। इस दिन नई फसल की बुआई भी की जाती है। इसलिए ये त्योहार किसानों के लिए बहुत ही खास महत्व रखता है। इस दिन नया पंचांग भी पढ़ा जाता है, जिसमें लोग पूरे साल का भविष्यफल देखते हैं। विषु उत्सव कर्नाटक में भी बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है।
भगवान विष्णु के दर्शन माने जाते हैं शुभ
विषु उत्सव के दिन सुबह लोग जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद नए कपड़े पहनते हैं। इस दिन भगवान विष्णु के दर्शन करना बहुत ही शुभ माना जाता है, इसे विषुक्कणी कहते है। मलयालम में विषु का मतलब होता है विष्णु, कणी का मतलब होता है देखना। विषुक्कणी का मतलब होता है सबसे पहले भगवान विष्णु के दर्शन करना। इस दिन कई तरह के खास व्यंजन भी बनाए जाते हैं।
ऐसे मनाते हैं ये उत्सव
विषु उत्सव की तैयारी एक दिन पहले ही शुरू हो जाती है। पहले कणी दर्शन (भगवान विष्णु की झांकी) की सामग्री इकट्ठा करके सजाई जाती है। फिर एक कांसे के बर्तन में चावल, कच्चा आम, नया कपड़ा, आइना, सुपारी और पान का पत्ता आदि रखते हैं और बर्तन के पास दीपक जलाते हैं। सुबह लोग विषुक्कणी के दर्शन करते हैं और घर के बुजुर्ग अन्य सदस्यों को कुछ पैसे देते हैं। इस मौके पर ’सद्य’ नामक एक थाली बनाई जाती है, जिसमें 1-2 नहीं बल्कि रबरे 26 प्रकार के विभिन्न शाकाहारी व्यंजन होते हैं।
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