कितने दिन तक बाणों की शैय्या पर रहे भीष्म पितामह?

Published : Feb 03, 2025, 11:48 AM IST
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सार

Bhishma Ashtami 2025: भीष्म पितामह महाभारत के सबसे प्रमुख पात्र थे। युद्ध में घायल होने के बाद भी वे कईं दिनों तक बाणों पर शैय्या पर लेट रहे। बहुत कम लोग जानते हैं उनकी मृत्यु कब हुई थी? 

Bhishma Ashtami 2025 Kab Hai:माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को भीष्म अष्टमी कहा जाता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इसी तिथि पर भीष्म पितामह की मृत्यु हुई थी। भीष्म पितामह कईं दिनों तक बाणों की शैय्या पर लेटे रहे और जब तक उन्होंने हस्तिनापुर को सुरक्षित हाथों में नहीं देख लिया, तब तक उन्होंने अपने प्राण नहीं त्यागे। भीष्म पितामह की मृत्यु से जुड़े भी कईं रहस्य हैं, जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। आगे जानिए इन रहस्यों के बारे में…

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भीष्म को किसने दिया था इच्छा मृत्यु का वरदान?

भीष्ण पितामह महाभारत के ऐसे पात्र थे, जो शुरू से अंत तक इसमें बने रहे। भीष्म पितामह को इच्छा मृत्यु का वरदान था यानी जब तक उनकी स्वयं की इच्छा नहीं होगी, उनकी मृत्यु असंभव थी। उन्हें ये वरदान उनके पिता राजा शांतनु ने दिया था। ऐसा माना जाता है कि जब महाभारत का युद्ध हुआ, उस समय उनकी आयु लगभग 170 साल की थी।

कितने दिनों तक बाणों की शैय्या पर रहे भीष्म?

महाभारत युद्ध के दौरान दुर्योधन ने कौरव सेना का प्रधान सेनापति भीष्म पितामह को बनाया। 10 दिनों तक भीष्म पितामह ही कौरवों के सेनापति रहे। युद्ध के दसवें दिन अर्जुन से युद्ध करते समय वे गंभीर घायल हो गए लेकिन इसके बाद भी उन्होंने मृत्यु को नहीं स्वीकारा। युद्ध में पांडवों की जीत हुई। हस्तिनापुर के राजा बनने के बाद कईं दिनों तक युधिष्ठिर भीष्म पितामह के पास जाकर उनसे शिक्षा लेते रहे। इस तरह भीष्म पितामह 58 दिनों तक बाणों की शैय्या पर लेटे रहे।

कैसे हुई भीष्म पितामह की मृत्यु?

जब भीष्म पिताम हने प्राण त्यागने का निश्चय किया तो वे यौगिक क्रिया से अपने प्राणों को ऊपर की ओर खींचने लगे। उनके प्राण जैसे-जैसे ऊपर जाते उनके शरीर के घाव भी भर जाते। देखते ही देखते उनका शरीर बाणों और घावों से मुक्त हो गया। अंत में भीष्म पितामह ने अपने शरीर के सभी द्वारों को बंद करके प्राणों को सब ओर से रोक लिया, जिससे उनके प्राण मस्तक (ब्रह्मरंध्र) फो़ड़कर आकाश में चले गए। इसके बाद पांडवों ने उनका विधि-विधान से दाह संस्कार किया।


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