
Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों में सुखी जीवन के अनेक रहस्य बताए हैं। चाणक्य ने कई बातों के बारे में भी लिखा है जो हमारे लिए दुख की वजह बन सकती हैं। आचार्य ने अपने ग्रंथ नीति शास्त्र में तीन ऐसे लोगों के बारे में बताया है जिनसे न तो ज्यादा दूर रहना चाहिए और नही ज्यादा नजदीक। इन 3 लोगों से पर्याप्त दूरी रखकर ही व्यवहार करना चाहिए। आगे जानिए वो कौन हैं वो 3 लोग…
अत्यासन्ना विनाशाय दूरस्था न फलप्रदा:,
सेवितव्यं मध्याभागेन राजा बहिर्गुरू: स्त्रियं:
अर्थ- आर्थिक या सामाजिक रूप से शक्तिशाली व्यक्ति, आग और स्त्री तीनों से ही संतुलित व्यवहार रखना चाहिए। न तो इनसे ज्याद नजदीकी अच्छी और न ही ज्याद करीबी।
आर्थिक और सामाजिक रूप से शक्तिशाली व्यक्ति किसी का भी बुरा करने में सक्षम रहता है, इसलिए ऐसे लोगों से सयंमित व्यवहार रखना चाहिए। इनसे दुश्मनी लेना या इनके साथ उठना-बैठना दोनों ही स्थिति हमारे लिए परेशानी का कारण बन सकती है। इसलिए आचार्य चाणक्य ने इनसे पर्याप्त दूरी बनाकर रखने की सलाह दी है।
आचार्य चाणक्य के अनुसार, अग्नि जितनी हमारे लिए जरूरी है, उतनी ही खतरनाक भी है, इसलिए इसके ज्यादा नजदीक जाने से हम घायल हो सकते हैं वहीं यदि शीत ऋतु में हमें गर्माहट चाहिए तो इससे थोड़ा निकट तो जाना ही पड़ता है। कहने का अर्थ है कि अग्नि के न तो अधिक दूर रहना चाहिए और न अधिक पास।
आचार्य चाणक्य के अनुसार, पराई स्त्री से ज्यादा गहरे संबंध हमारे लिए खतरनाक स्थिति पैदा कर सकते हैं। इनके ज्यादा करीब जाने से आप गलत राह पर जा सकते हैं या ईर्ष्या के शिकार हो सकते हैं। इससे आपकी गलत छबि बन सकती है। वहीं ज्यादा दूरी से भी आपको कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए महिलाओं के साथ संतुलित व्यवहार करें तो अच्छा है।
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