Kailash Mansarovar Yatra 2025: हिंदुओं के लिए क्यों खास है कैलाश मानसरोवर? जानें 5 मान्यताएं

Published : Apr 27, 2025, 10:10 AM IST
kailasha man sarovar yatra

सार

Kailash Mansarovar Yatra 2025: पिछले 5 साल से बंद कैलाश मानसरोवर यात्रा पर लगी रोक इस बार चीन ने हटा दी है। भक्त 30 जून से 25 अगस्त के बीच अनुमति लेकर यहां दर्शन करने जा सकते हैं। 

Kailash Mansarovar Yatra 2025: कैलाश मानसरोवर यात्रा हिंदुओं की पवित्र यात्राओं में से एक है। इस यात्रा पर जाने के लिए चीन की अनुमति चाहिए होती है क्योंकि वर्तमान में ये स्थान उसी के कब्जे में है। पिछले 5 सालों से चीन यात्रा के लिए भारतीयों को इजाजत नहीं दे रहा था लेकिन इस बार चीन ने इस यात्रा के लिए अनुमति दे दी है। विदेश मंत्रालय ने 30 जून से 25 अगस्त तक चलने वाली कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू कर दिया है। रजिस्ट्रेशन की अंतिम तारीख 13 मई है। कैलाश मानसरोवर यात्रा हिंदुओं के लिए क्यों महत्वपूर्ण है जानिए इससे जुड़ी 5 बातें…

यहां निवास करते हैं शिव-पार्वती

अनेक धर्म ग्रंथों में कैलाश पर्वत का वर्णन मिलता है। मान्यता के अनुसार, इसी स्थान पर भगवान शिव और देवी पार्वती निवास करते हैं। इसलिए ये हिंदुओं के प्रमुख तीर्थ स्थानों में से भी एक है। इस तीर्थ को अष्टापद, गणपर्वत और रजतगिरि भी कहते हैं। धर्म ग्रंथों में बताई गई अनेक घटनाएं जैसे श्रीगणेश का सिर काटना, शिवजी द्वारा रावण का घमंड तोड़ना आदि इसी स्थान पर हुई मानी जाती हैं।

यहीं है कुबेर की नगरी

धर्म ग्रंथों के अनुसार, कैलाश पर्वत के निकट ही धन के स्वामी कुबेरदेव निवास करते हैं। उनकी नगरी का नाम अलकापुरी है। कुबेर भगवान शिव के भक्त भी हैं और मित्र भी है। भगवान शिव ने ही कुबेर के अपने निवास स्थान के निकट ये स्थान प्रदान किया है। ऐसा भी कहा जाता है कि स्वर्ग से गंगा कैलाश पर्वत की चोटी पर गिरती है, जहाँ महादेव उन्हें अपनी जटाओं में भर धरती में निर्मल धारा के रूप में प्रवाहित करते हैं।

किसने की थी मानसरोवर झील की खोज?

कैलाश मानसरोवर यात्रा में कैलाश पर्वत के अलावा जो दूसरा सबसे महत्वपूर्ण स्थान है वो है मानसरोवर झील। इस झील से भी अनेक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। सतयुग में एक बहुत ही पराक्रमी राजा हुए, जिनका नाम मांधाता था। कहा जाता है कि उन्हीं ने इस झील की खोज की थी और तपस्या भी की थी। इससे पता चलता है कि मानसरोवर झील हजारों सालों से हिंदुओं की आस्था का प्रतीक है।

अर्जुन ने जीता था ये प्रदेश

महाभारत के अनुसार, जब पांडवों ने राजसूय यक्ष किया था इस दिशा में अर्जुन को भेजा गया। अर्जुन ने कैलाश पर्वत के आस-पास के पूरे क्षेत्र के राजाओं को हराकर उनके कर यानी टैक्स लिया। उस समय यहां के राजा ने उत्तम घोड़े, सोना, रत्न और याक के पूँछ के बने काले और सफेद चामर अर्जुन को भेंट किए थे।

अन्य धर्मों के लिए महत्वपूर्ण है ये स्थान

कैलाश पर्वत और इसके आस-पास का क्षेक्ष बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है। यहां भगवान बुद्ध को धर्मपाल के नाम से पूजा जाता है। मान्यता है कि इस स्थान पर आकर बुद्ध ने शरीर का त्याग किया था। जैन धर्म के लोगों का मानना है कि पहले तीर्थंकर ऋषभदेव ने भी यहीं शरीर छोड़ा था। गुरु नानक देव ने भी कुछ समय यहां बिताया था।


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