
Shardapith Temple POK: 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध के हालात बनते नजर आ रहे हैं। पाकिस्तान कभी भारत का ही हिस्सा था, इसलिए वहां हिंदुओं के अनेक प्राचीन मंदिर हैं। ये मंदिर सरकार की देख-रेख के अभाव में खंडहर में बदलते जा रहे हैं, ऐसा ही एक मंदिर POK में यानी पाक अधिकृत कश्मीर में है जो कभी देवी सरस्वती की उपासना का प्रमुख केंद्र हुआ करता था। इस मंदिर को शारदा पीठ के नाम से जाना जाता है। जानें इस मंदिर का इतिहास और महत्व…
कश्मीर के कुपवाड़ा से करीब 22 किलोमीटर दूर POK में स्थित है शारदा पीठ। ये स्थान श्रीनगर से लगभग 130 किमी है। यानी भारत की सीमा से ये मंदिर अधिक दूर नहीं है, लेकिन इसके बावजूद भक्त यहां तक बिना इजाजत के नहीं जा सकते हैं। पाकिस्तानी सरकार के गैर जिम्मेदार रवैये के चलते ये स्थान पर धीरे-धीरे खंडहर में बदलता जा रहा है।
इतिहासकारों की मानें तो ये 5 हजार साल पुराना धर्मस्थल है। इसी स्थान पर देवी सती का दाया हाथ गिरा था। शारदा पीठ देवी के 18 महाशक्ति पीठों में से एक है। ये स्थान कभी वैदिक शिक्षा का प्रमुख केंद्र हुआ करता था, जहां दूर-दूर से छात्र पढ़ाई करने आते थे। ऐसा भी कहा जाता है कि यही वो स्थान है जहां ऋषि पाणीनि ने अष्टाध्यायी की रचना की। साथ ही आदि गुरु शंकराचार्य और वैष्णव संप्रदाय के प्रवर्तक रामानुजाचार्य भी अपने जीवनकाल के दौरान थोड़ा समय यहां रुके।
इतिहासकारों की मानें तो इस मंदिर का पुनर्निर्माण सम्राट अशोक ने 237 ईसा पूर्व में करवाया था। 1947 के पहले यानी जब पाकिस्तान नहीं बना था, तब तक तीर्थयात्री तीतवाल के रास्ते यहां आते थे। वैसाखी पर कश्मीरी पंडित सहित पूरे भारत से लोग तीर्थाटन करने शारदा पीठ जाते थे। पाकिस्तान द्वारा कब्जा कर लेने के बाद यहां लोगों का आना-जाना बंद हो गया और धीरे-धीरे ये धर्मस्थल खंडहर में बदल गया।
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