Published : May 01, 2023, 03:51 PM ISTUpdated : May 01, 2023, 04:57 PM IST
Chandra Grahan 2023: साल 2023 का पहला चंद्र ग्रहण 5 मई, शुक्रवार को होने जा रहा है। ये ग्रहण भारत में कहीं भी किसी भी रूप में दिखाई नहीं देगा, जिसके चलते इसका कोई भी महत्व यहां मान्य नहीं होगा। ये ग्रहण पश्चिमी देशों में दिखाई देगा।
चंद्र व सूर्य ग्रहण सामान्य खगोलीय घटनाएं हैं। साल में 3-4 बार ग्रहण होना आम बात है। इनमें से कुछ ग्रहण भारत में दिखाई देते हैं और कुछ नहीं। ( Kab Hoga Chandra Grahan) इस बार साल का पहला चंद्र ग्रहण 5 मई, शुक्रवार को होने जा रहा है। ये ग्रहण भारत में दिखाई न देने से यहां इसका कोई भी महत्व नहीं माना जाएगा और न ही सूतक आदि नियम मान्य होंगे। राशियों पर इसका प्रभाव जरूर माना जाएगा। आगे जानिए चंद्र ग्रहण से जुड़ी खास बातें…
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इन लोगों को रहना होगा संभलकर (Chandra Grahan Ashubh Prabhav)
5 मई को होने वाला ग्रहण तुला राशि में होगा, इस दिन चंद्रमा और केतु इसी राशि में रहेंगे, जिसके चलते ग्रहण होगा। इसलिए इस ग्रहण का सबसे ज्यादा अशुभ प्रभाव तुला राशि के लोगों पर देखने को मिलेगा। इसके अलावा जिन लोगों की कुंडली में ग्रहण योग है, उन पर ही इसका निगेटिव प्रभाव होगा। इन लोगों के चंद्र ग्रहण के दौरान संभलकर रहना होगा, नहीं तो कोई अनहोनी घटना हो सकती है।
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कैसे बचे चंद्र ग्रहण के अशुभ प्रभाव से? (Chandra Grahan 2023 Upay)
तुला राशि वाले लोग और जिन लोगों की कुंडली में ग्रहण योग है, वे चंद्र ग्रहण के दौरान बाहर न निकले और चंद्रमा से संबंधित मंत्रों का जाप करे। संभव हो तो चंद्रमा से संबंधित चीजों का दान भी करें। ऐसा करने से चंद्र ग्रहण के अशुभ प्रभाव से बचा जा सकता है। या फिर किसी किसी योग्य ज्योतिषी की सलाह भी ले सकते हैं।
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लगातार तीसरे साल एक ही तिथि पर होगा चंद्र ग्रहण
साल 2023 का पहला चंद्र ग्रहण 5 मई, शुक्रवार को होगा। इस दिन वैशाख मास की पूर्णिमा तिथि रहेगी। ऐसा पहली नहीं है जब वैशाख पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण का संयोग बन रहा है, पिछले 2 सालों से इसी तिथि पर चंद्र ग्रहण हो रहा है। साल 2021 में 26 मई को और 2022 में 16 मई को भी वैशाख मास की पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण का संयोग बना था।
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पूर्णिमा पर ही चंद्र ग्रहण क्यों?
चंद्र ग्रहण पूर्णिमा पर ही होता है, इसके पीछे खगोलीय कारण है। खगोलविदों के अनुसार, पृथ्वी की कक्षा पर चंद्रमा की कक्षा करीब 5 डिग्री तक झुकी रहती है, इस कारण चंद्रमा कभी पृथ्वी की छाया से ऊपर तो कभी नीचे से निकलता है। जिस समय पृथ्वी की छाया पूरी तरह से चंद्रमा पर पड़ती है, उसी समय ग्रहण होता है। ऐसा संयोग पूर्णिमा पर ही बनता है।
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