Chandra Grahan 2025: श्राद्ध पक्ष के पहले दिन चंद्र ग्रहण, कब करें पिंडदान-तर्पण? नोट करें समय

Published : Sep 01, 2025, 11:56 AM IST

Chandra Grahan 2025 Sutak Time: इस बार श्राद्ध पक्ष के पहले दिन चंद्र ग्रहण का संयोग बन रहा है। इस स्थिति में तर्पण-पिंडदान कब करें, इसे लेकर लोगों के मन में संशय है। जानें श्राद्ध पक्ष के पहले दिन पिंडदान का समय।

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जानें श्राद्ध पक्ष और चंद्र ग्रहण से जुड़ी खास बातें

September 2025 Mai Chandra Grahan Kab Hai: धर्म ग्रंथों के अनुसार, भाद्रपद मास की पूर्णिमा से श्राद्ध पक्ष की शुरूआत होती है। इस बार श्राद्ध पक्ष के पहले ही दिन चंद्र ग्रहण का दुर्लभ संयोग बन रहा है। चंद्र ग्रहण का सूतक दोपहर से ही शुरू हो जाएग, जिसके चलते लोगों के मन में ये संशय है कि श्राद्ध पक्ष के पहले दिन तर्पण-पिंडदान आदि का समय क्या रहेगा? क्योंकि सूतक में श्राद्ध नहीं किया जाता। आगे उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. नलिन शर्मा जानें श्राद्ध पक्ष के पहले दिन तर्पण, पिंडदान का समय और चंद्र ग्रहण से जुड़ी डिटेल…


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कब से शुरू होगा श्राद्ध पक्ष 2025?

इस बार श्राद्ध पक्ष की शुरूआत 7 सितंबर, रविवार से होगी, जो 21 सितंबर, रविवार तक रहेगा। धर्म ग्रंथों में श्राद्ध पक्ष के पहले दिन का विशेष महत्व बताया गया है। जिन लोगों के परिजनों की मृत्यु पूर्णिमा तिथि पर हुई हो, वे इस तिथि पर मृत परिजनों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान आदि करते हैं। इसी दिन चंद्र ग्रहण का दुर्लभ संयोग बन रहा है। इस चंद्र ग्रहण का सूतक दोपहर से ही शुरू हो जाएगा।


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कब से शुरू होगा चंद्र ग्रहण का सूतक?

7 सितंबर, रविवार को चंद्र ग्रहण रात 9 बजकर 57 मिनिट से शुरू होगा, जो मध्य रात्रि 1 बजकर 27 मिनिट तक रहेगा। इस दौरान घर से बाहर न निकलें और न सीधे ग्रहण को देखें। चंद्र ग्रहण का सूतक दोपहर 12 बजकर 57 मिनिट से शुरू होगा, जो ग्रहण के साथ ही समाप्त होगा। यानी दोपहर 12:57 के बाद सूतक से जुड़े सभी नियम मान्य होंगे।

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7 सितंबर को कब करें श्राद्ध-पिंडदान?

जिन लोगों को पूर्णिमा का श्राद्ध करना है वे 7 सितंबर, रविवार की दोपहर 12 बजकर 57 मिनिट से पहले ही श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान आदि काम कर लें क्योंकि सूतक में किसी भी तरह की पूजा करना निषेध है। अन्त्यकर्म श्राद्ध प्रकाश ग्रंथ के अनुसार, श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान के लिए सुबह 11:30 से दोपहर 12 के बीच का समय सबसे उत्तम होता है। इसे कुतप काल कहते हैं। इस समय किए गए श्राद्ध, पिंडदान से पितरों का आत्मा को शांति मिलती है।


Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

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