जिन लोगों को पूर्णिमा का श्राद्ध करना है वे 7 सितंबर, रविवार की दोपहर 12 बजकर 57 मिनिट से पहले ही श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान आदि काम कर लें क्योंकि सूतक में किसी भी तरह की पूजा करना निषेध है। अन्त्यकर्म श्राद्ध प्रकाश ग्रंथ के अनुसार, श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान के लिए सुबह 11:30 से दोपहर 12 के बीच का समय सबसे उत्तम होता है। इसे कुतप काल कहते हैं। इस समय किए गए श्राद्ध, पिंडदान से पितरों का आत्मा को शांति मिलती है।
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