Chhath Puja 2025: कौन हैं षष्ठी देवी या छठी मैया, सबसे पहले किसे दिए थे दर्शन?

Published : Oct 25, 2025, 09:55 AM IST
Chhath Puja 2025

सार

Chhath Puja 2025: इस बार छठ पूजा का पर्व 25 अक्टूबर से शुरू हो रहा है जो 28 अक्टूबर तक मनाया जाएगा। इस पर्व में षष्ठी देवी यानी छठी मैया की पूजा की जाती है। छठी मैया कौन हैं, इसके बारे में धर्म ग्रंथों में बताया गया है।

Koun Hai Chhathi Maiya: हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से षष्ठी तिथि तक छठ पूजा का पर्व मनाया जाता है। इसे डाला छठ, सूर्य षष्ठी व्रत आदि नामों से भी जाना जाता है। इस बार ये पर्व 25 से 27 अक्टूबर तक मनाया जाएगा। बिहार, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों में इसका रौनक सबसे ज्यादा देखने को मिलती है। इस व्रत में मुख्य रूप से भगवान सूर्य और षष्ठी देवी की पूजा की जाती है। षष्ठी देवी को ही छठी मैया भी कहते हैं। छठी मैया कौन हैं इसका वर्णन अनेक धर्म ग्रंथों में मिलता है। आगे जानें छठी मैया से जुड़ी रोचक कथा…

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प्रकृति का ही रूप हैं छठी मैया

ब्रह्म वैवर्त पुराण के प्रकृति खंड के अनुसार, सृष्टि की अधिष्ठात्री प्रकृति देवी के पांच अंश हैं- दुर्गा, राधा, लक्ष्मी, सरस्वती और सावित्री। यही पांच देवियां पूर्णतम प्रकृति कहलाती हैं। प्रकृति देवी के एक प्रधान अंश को देवसेना कहते हैं, जो सबसे श्रेष्ठ मातृका मानी जाती है। ये समस्त लोकों के बालकों की रक्षिका देवी भी हैं। प्रकृति का छठा अंश होने के कारण इनका नाम षष्ठी देवी भी है, जिनकी हम छठ के दिन पूजा करते हैं। षष्ठी का ही अपभ्रंश हैं छठ। इसलिए षष्ठी देवी का ही एक नाम छठ मैया भी है।

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छठी मैया ने सबसे पहले किसे दिए थे दर्शन?

देवी पुराण के अनुसार, सतयुग में प्रियवद नाम के एक राजा थे। जब उनके यहां पहली संतान पैदा हुई तो कुछ ही देर बाद उसकी मृत्यु हो गई। ये देख उन्हें बड़ा दुख हुआ। जब राजा प्रियवद अपनी संतान का अंतिम संस्कार करने जा रहे थे तभी वहां षष्ठी देवी प्रकट हुई और उन्होंने उस मृत बालक को गोद में लेकर पुनर्जीवित कर दिया। इस तरह षष्ठी देवी छोटे बच्चों की रक्षिका के रूप में पूजी जाने लगी। जिन दिन षष्ठी देवी ने राजा प्रियवद की संतान को जीवनदान दिया था, उस दिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि थी। तभी से इस तिथि पर छठ पूजा की परंपरा शुरू हुई जो आज तक चली आ रही है।

सूर्यदेव के साथ क्यों करते हैं छठ मैया की पूजा?

धर्म ग्रंथों के अनुसार, षष्ठी देवी सूर्य देव की बहन हैं। छठ पूजा के मौके पर सूर्यदेव और षष्ठी देवी दोनों भाई-बहनों की पूजा की जाती है। षष्ठी देवी जहां बालकों की रक्षा करती हैं वहीं सूर्यदेव के प्रकाश से संसार को जीवन मिलता है। इसलिए छठ पूजा के मौके पर सूर्य देव के साथ ही षष्ठी देवी की पूजा का विधान है।


Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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