
Devuthani Ekadashi Songs Bhajan Lyrics: धर्म ग्रंथों के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी व देव प्रबोधिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि चातुर्मास के दौरान भगवान विष्णु पाताल लोक में जाकर शयन करते हैं वे देवउठनी एकादशी पर ही नींद से जागते हैं। इस बार देवउठनी एकादशी 1 नवंबर, शनिवार को है। भगवान विष्णु को नींद से जगाने के लिए एक खास गीत गाया जाता है। मान्यता है कि ये पूजा करते समय ये गीत गाने से भगवान विष्णु की कृपा हम पर बनी रहती है।
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1 नवंबर को यानी देवउठनी एकादशी पर शाम को भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करें और घंटी, मंजीरे आदि बजाएं। मान्यता है कि घंटी-मंजीरे की आवाज सुनकर भगवान विष्णु नींद से जागते हैं। इस समय एक विशेष गीत भी गाया जाता है। ये हैं उस गीत के लिरिक्स…
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उठो देव बैठो देव
हाथ-पाँव फटकारो देव
उँगलियाँ चटकाओ देव
सिंघाड़े का भोग लगाओ देव
गन्ने का भोग लगाओ देव
सब चीजों का भोग लगाओ देव ॥
उठो देव बैठो देव
उठो देव, बैठो देव
देव उठेंगे कातक मोस
नयी टोकरी, नयी कपास
ज़ारे मूसे गोवल जा
गोवल जाके, दाब कटा
दाब कटाके, बोण बटा
बोण बटाके, खाट बुना
खाट बुनाके, दोवन दे
दोवन देके दरी बिछा
दरी बिछाके लोट लगा
लोट लगाके मोटों हो, झोटो हो
गोरी गाय, कपला गाय
जाको दूध, महापन होए,
सहापन होएI
जितनी अम्बर, तारिइयो
इतनी या घर गावनियो
जितने जंगल सीख सलाई
इतनी या घर बहुअन आई
जितने जंगल हीसा रोड़े
जितने जंगल झाऊ झुंड
इतने याघर जन्मो पूत
ओले क़ोले, धरे चपेटा
ओले क़ोले, धरे अनार
ओले क़ोले, धरे मंजीरा
उठो देव बैठो देव
Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।