Gufi Paintal Passed Away: भारत में कहां है मामा शकुनि का एकमात्र मंदिर?

Gufi Paintal Death: महाभारत में मामा शकुनि का किरदार निभाने वाले गूफी पेंटल नहीं रहे। 5 जून को एक निजी अस्पताल में उनका निधन हो गया। गूफी पेंटल द्वारा निभाया गया मामा शकुनि का किरदार आज भी लोगों के जहन में ताजा है।

 

Manish Meharele | Published : Jun 5, 2023 7:36 AM IST

उज्जैन. छोटे परदे पर बड़ा किरदार निभाने वाले गूफी पेंटल (Gufi Paintal Death) का 5 जून को निधन हो गया। जैसे ही ये खबर लोगों तक पहुंची, सभी के मन में महाभारत के मामा शकुनि का किरदार जीवंत हो उठा। वैसे तो गूफी पेंटल ने छोटे पर कई सीरियलों में काम किया, लेकिन उन्हें असली पहचान मिली महाभारत के मामा शकुनि (Mama Shakuni In Mahabharata Serial) के किरदार से। बहुत कम लोग जानते हैं हमारे देश में मामा शकुनि का एक मंदिर भी है। महाभारत के सबसे बड़े खलनायक का मंदिर, ये कैसे हो सकता है? लेकिन ये सच है। आज हम आपको मामा शकुनि के इसी मंदिर के बारे में बता रहे हैं…

कहां है मामा शकुनि का मंदिर? (Where is Mama Shakuni's temple?)
महाभारत में कई पात्रों के मंदिर हमारे देश में स्थित है जैसे भीष्म पितामाह का, श्रीकृष्ण का, गुरु द्रोणाचार्य का, लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि महाभारत के सबसे बड़े खलनायक मामा शकुनि का भी एक मंदिर है। ये मंदिर केरल के कोट्टारक्कारा में मौजूद है। इस मंदिर को मायम्कोट्टू मलंचारुवु मलनाड मंदिर के (Shakuni Deva Temple Malanada) नाम से जाना जाता है। दूर-दूर से लोग इस मंदिर को देखने यहां आते हैं।

क्या है इस मंदिर की मान्यता? (History of Mama Shakuni's Temple)
स्थानीय लोगों के अनुसार, ये मंदिर यहां किसने बनवाया, इस बारे में तो कोई नहीं जानता। किवदंति के अनुसार शकुनि शिव भक्त था। उसने यहां भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या की। प्रसन्न होकर शिवजी ने उसके सामने प्रकट हुए और उसे कई वरदान भी दिए। यही स्थान पर शकुनि ने तपस्या की थी, इसलिए यहीं उनका मंदिर भी बनवाया गया। जिस पत्थर पर शकुनि ने तप किया था, वो आज भी यहां स्थित है, इसे पवित्रेश्वरम कहा जाता है।

हर साल होता है उत्सव (Malakkuda Maholasvam Festival)
मामा शकुनि के इस मंदिर में हर साल उत्सव मनाया जाता है, जिसे मलक्कुडा महोलसवम उत्सव कहते हैं। हजारों लोग इस उत्सव में शामिल होते हैं और मामा शकुनि की पूजा करते हैं, साथ ही यहां नाग माता, नागराज आदि की पूजा का भी विधान है। इस उत्सव के दौरान यहां स्थानीय लोग नाचते-गाते और अपनी परंपराओं का पालन करते हैं।

कैसे पहुंचें?
- कोट्टारक्कारा तिरुवनंतपुरम से लगभग 65 किमी दूर है। यहां से मामा शकुनि के मंदिर की दूरी लगभग 16 किमी है। केरल के मुख्य शहरों से कोट्टाराक्कारा के बसें आसानी से मिल जाती हैं।
- कोट्टारकरा से सबसे नजदीक रेलव स्टेशन मुनरोतुरुट्टू है, जहां यहां से लगभग 30 किमी है। यहां से बस या टैक्सी से कोट्टारकरा पहुंचा जा सकता है।
- कोट्टारक्कारा से सबसे नजदीक हवाई अड्डा तिरुवनंतपुरम में है, जो लगभग 65 किमी दूर है।


ये भी पढ़ें-

Gufi Paintal Death: शकुनि क्यों करना चाहता था कुरुवंश का सर्वनाश, किसने किया महाभारत के इस “मामा” का वध?


Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

Share this article
click me!