Guru Purnima 2025: कौन थे वे ऋषि जिन्होंने कर्ण, भीष्म और दुर्योधन को एक रात के लिए कर दिया था जीवित?

Published : Jul 05, 2025, 04:13 PM ISTUpdated : Jul 05, 2025, 04:14 PM IST
guru purnima 2025

सार

Guru Purnima 2025: महाभारत की रचना महर्षि वेदव्यास ने की। उन्हीं के जन्मोत्सव के रूप में हर साल गुरु पूर्णिमा पर्व मनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं महर्षि वेदव्यास ने एक रात के लिए महाभारत युद्ध में मारे गए योद्धाओं को जीवित कर दिया था। 

Guru Purnima 2025: महाभारत की कथा जितनी रोचक है, उतनी रहस्यमयी भी है। महाभारत की रचना महर्षि वेदव्यास ने की थी। इन्हें भगवान विष्णु का अवतार भी माना जाता है। हर साल महर्षि वेदव्यास के जन्मोत्सव के रूप में गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है, जो इस बार 10 जुलाई, गुरुवार को है। बहुत कम लोग जानते हैं कि महर्षि वेदव्यास ने महाभारत में मारे गए सभी योद्धाओं को एक रात के लिए पुनर्जीवित कर दिया था। जानें महाभारत की ये अद्भुत घटना…

जब धृतराष्ट्र से मिलने पांडव गए वन में

महाभारत के अनुसार, युधिष्ठिर के राजा बनने के बाद लगभग 18 साल तक धृतराष्ट्र हस्तिनापुर में रहे। इसके बाद गांधारी, कुंती, विदुर और संजय को साथ लेकर वे वन में जाकर तपस्या करने लगे। कुछ साल बाद पांडवों के मन में अपनी माता कुंती और अन्य परिजनों से मिलने की इच्छा हुई वे सभी उनसे मिलने वन में पहुंचे।

महर्षि वेदव्यास ने दिया वरदान

जब पांडव कुंती, धृतराष्ट्र आदि से मिलने वन में पहुंचें वहां महर्षि वेदव्यास भी आ गए। गांधारी के मुख से धर्मयुक्त बातें सुनकर वे बहुत प्रसन्न हुए और उनसे वरदान मांगने को कहा। तब गांधारी ने कहा कि वे अपने मृत पुत्रों को देखना चाहती हैं। उनके इस वरदान को सुनकर अन्य सभी हैरान रह गएस लेकिन महर्षि वेदव्यास ने उन्हें ये वरदान दे दिया।

गंगा नदी से प्रकट हुए मृत योद्धा

महर्षि वेदव्यास पांडव, द्रौपदी, धृतराष्ट्र, कुंती और अन्य सभी को लेकर गंगा तट पर आए तो रात होने की प्रतीक्षा करने लगे। रात होने पर महर्षि वेदव्यास ने महाभारत में मारे गए योद्धाओं का आवाहन किया तो वे एक-एक करके गंगाजल से बाहर निकलने गए। उन योद्धाओं में दुर्योधन, भीष्म, कर्ण, अभिमन्यु आदि कईं योद्धा थे, जो महाभारत युद्ध में मारे गए थे।

बहुत अद्भुत थी वह रात

युद्ध में मारे गए सभी योद्धा बिना किसी द्वेष और क्रोध से अपने परिजनों से मिले और पूरी रात उनके साथ बिताई। द्रौपदी भी युद्ध में मारे गए पांचों पुत्र से मिलकर बहुत खुश हुई। पूरी रात वे अपने परिजनों के साथ रहे और अगली सुबह पुन: अपने-अपने लोक चले गए। इस तरह महाभारत की वो अद्भुत रात समाप्त हुई।


Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो गीताप्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित महाभारत के अनुशासन पर्व से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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