
Haridwar Stampede Mansa Devi Temple: उत्तराखंड के हरिद्वार में मनसा देवी का प्रसिद्ध मंदिर हैं। रविवार सुबह यहां अधिक संख्या में भक्तों के आने से भगदड़ मच गई, जिसमें 6 लोगों की मौत हो गई और लगभग 30 लोग घायल हो गए। स्थानीय पुलिस-प्रशासन मौके पर पहुंचकर राहत कार्य में जुटा हुआ है। प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घटना पर दुख जताया है।
27 जुलाई, रविवार की सुबह मनसा देवी मंदिर में भक्तों की संख्या अचानक बढ़ गई, जिसके चलते धक्कामुक्की होने लगी। इसी बीच लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे। वहीं कुछ लोगों का कहना है मंदिर मार्ग पर हाईवोल्टेज लाइन का तार टूटकर गिरने से करंट फैल गया, जिससे अफरा-तफरी मच गई और भक्त बेकाबू होकर इधर-उधर भागने लगे। इस पूरे मामले को लेकर शासन-प्रशासन जांच में जुटा हुआ है। अभी तक हादसे की मुख्य वजह पता नहीं चली है।
हरिद्वार से 3 किमी दूर शिवालिक पहाड़ी पर मनसा देवी का प्रसिद्ध मंदिर है। दूर-दूर से भक्त यहां दर्शन करने आते हैं। मान्यता है कि जो भी भक्त यहां सच्चे मन से माता से जो भी मांगता है, उसकी मनोकामना जरूरी पूरी होती है। मंदिर परिसर में एक पेड़ है जिसकी शाखाओं पर लोग धागा बांधकर मन्नत मांगते हैं और पूरी होने पर उसे खोलने भी आते हैं। इतिहासकारों की मानें तो इस मंदिर का निर्माण राजा गोला सिंह ने सन 1811 से 1815 के बीच किया था।
धर्म ग्रंथों के अनुसार, ऋषि कश्यप की 13 पत्नियां थीं, उनमें से कद्रू भी एक थी। कद्रू से ही नागवंश की उत्पत्ति हुई। कद्रू ने शेषनाग, वासुकि, तक्षक आदि नागों को जन्म दिया, साथ ही एक कन्या भी पैदा हुई, जिसका नाम जरत्कारू रखा गया। यही जरत्कारू मनसा देवी कहलाई। यानी मनसा माता नागों की बहन हैं। मनसा माता ने भगवान शिव से शिक्षा प्राप्त की, इसलिए इन्हें महादेव की पुत्री भी कहा जाता है। मनसा माता के पुत्र आस्तिक मुनि हैं, जिन्होंने राजा जनमेजय का नागदाह यज्ञ रुकवाकर नाग वंश को बचाया था।