
Hindu Vivah Ki Parmparaye: जब कोई नई दुल्हन पहली बार अपने ससुराल जाती है तो उसका गृह प्रवेश करवाया जाता है। गृह प्रवेश के दौरान दुल्हन चावल से भरे कलश को अपने पैरों से घर के अंदर गिराती है, इसके बाद घर के अंदर आती है। देखने में एक आम भारतीय परंपरा लगे लेकिन इसके पीछे एक मनोवैज्ञानिक सोच छिपी है, जिसके बारे में कम ही लोग जानते हैं। आगे जानिए क्या है इस परंपरा के पीछा छिपा मनोवैज्ञानिक पक्ष…
हिंदू धर्म में विवाह के दौरान वर को भगवान विष्णु का और वधू को देवी लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है। ऐसा कहते हैं कि नई दुल्हन देवी लक्ष्मी के रूप में जब घर में प्रवेश करती है तो उसके शुभ कदमों से घर की परेशानियां अपने आप ही दूर हो जाती हैं। ऐसी कामना करते हैं दुल्हन के भाग्य से घर में सुख-समृद्धि बनी रहेगी। इसलिए नई दुल्हन का गृह प्रवेश करवाया जाता है।
ज्योतिष शास्त्र में चावल को शुक्र का अन्न माना गया है। शुक्र ही वो ग्रह है जो हमें सभी तरह की सुख-सुविधाएं जैसे धन आदि प्रदान करता है। मान्यता है कि जब नई दुल्हन घर में चावल से भरा कलश गिराती है तो पूरे घर में शुक्र का शुभ प्रभाव फैल जाता है जिसका असर वहां रहने वाले हर व्यक्ति पर होता है, जिससे उनके जीवन में खुशहाली बनी रहती है।
धर्म ग्रंथों में कलश का भी विशेष महत्व है। अनेक शुभ कामों की शुरूआत कलश स्थापना के साथ की जाती है। कलश में जब जल भरा जाता है तो इसमें सभी देवताओं का वास माना जाता है। जब कलश में चावल भरे जाते हैं तो ये धन से भरा पात्र यानी बर्तन बन जाता है। दुल्हन इसी धन से भरे पात्र को अपने घर के अंदर गिराती है ताकि कभी भी यहां धन-धान्य की कमी न हो।
Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो ज्योतिषियों द्वारा बताई गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।