Hindu Tradition: हिंदू धर्म में अनेक परंपराएं समय-समय पर निभाई जाती हैं। ऐसी ही एक परंपरा ये भी है कि जब भी किसी के मस्तक पर कुमकुम से तिलक लगाया जाता है तो उसके ऊपर थोड़े चावल भी लगाए जाते हैं।
उज्जैन. धर्म ग्रंथों में लिखा है कि मस्तक की शोभा तिलक लगाने से और भी बढ़ जाती है, इसलिए पुरातन समय में प्रतिदिन लोग तिलक लगाते थे। बिना तिलक लगाए घर से निकलना अशुभ माना जाता है, लेकन समय के साथ इस परंपरा में बदलाव आया है। आज के समय में विशेष अवसरों पर ही तिलक लगाया जाता है। (Hindu Tradition) जब भी किसी को कुमकुम का तिलक लगाते हैं तो उसके ऊपर चावल भी जरूर लगाते हैं। ऐसा क्यों किया जाता है, इसके बारे में कई मत हैं। आज हम आपको इसी परंपरा से जुड़ी खास बातें बता रहे हैं, जो इस प्रकार है…
इसलिए तिलक के ऊपर लगाते हैं चावल
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, चावल शुक्र ग्रह का धान है। शुक्र ग्रह के शुभ प्रभाव से ही हमें भौतिक सुख-सुविधाओं की प्राप्ति होती है। यानी हमारे जीवन में धन आता है और उसके उपभोग की क्षमता भी विकसित होती है। इसलिए हर शुभ कार्य में चावल का उपयोग जरूर किया जाता है। माथे पर कुमकुम के तिलक के ऊपर चावल लगाने से भी यही अभिप्राय है कि शुक्र ग्रह का शुभ प्रभाव हमारे जीवन पर बना रहे।
चावल का दूसरा नाम है अक्षत
चावल का एक नाम अक्षत भी है, जिसका अर्थ है संपूर्ण। आज कल तिलक विशेष मौकों पर ही लगाया जाता है, जैसे पूजा-पाठ, विवाह, जन्मदिन आदि पर। जब तिलक के ऊपर चावल लगाए जाते हैं तो इसके पीछे एक मनोवैज्ञानिक पक्ष ये भी रहता है कि जो भी शुभ कार्य हमारे द्वारा किया गया है, उसका संपूर्ण फल हमें प्राप्त हो और हमारा जीवन भी अक्षत की तरह संपूर्ण बना रहे, इसमे किसी तरह की कोई परेशानी न आए।
मस्तक पर होता है आज्ञा चक्र
ग्रंथों के अनुसार, हमारे शरीर में सप्तचक्र होते हैं जो हमारे शरीर को नियंत्रित करते हैं। मस्तक के जिस स्थान पर तिलक लगाया जाता है, वहां आज्ञा चक्र होता है। ये चक्र बहुत ही खास होता है। चूंकि चावल पूरी तरह से चावल में उगता है और पकता भी इसी में है तो इस पर चंद्रमा का भी प्रभाव रहता है। चंद्रमा मन का कारक है जो आज्ञा चक्र से संबंधित है। मस्तक पर आज्ञा चक्र के स्थान पर जब चावल लगाते हैं तो इसका हमारा मन शांत और एकाग्र होता है। ये भी एक कारण है तिलक के ऊपर चावल लगाने का।
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