Vasant Panchami 2023: 600 फीट ऊंचे पहाड़ पर बना है देवी सरस्वती का ये मंदिर, यहां गिरा था माता सती का हार

Vasant Panchami 2023: देवी सरस्वती के अनेक प्राचीन और चमत्कारी मंदिर हमारे देश में है। ऐसा ही एक मंदिर मध्य प्रदेश के सतना जिले में है। इसे शक्तिपीठ का दर्जा प्राप्त है। इसे शारदा मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर से कई मान्यताएं जुड़ी हैं।

 

Manish Meharele | Published : Jan 24, 2023 10:53 AM IST / Updated: Jan 24 2023, 06:46 PM IST

उज्जैन. हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर वसंत पचंमी (Vasant Panchami 2023) का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये तिथि 26 जनवरी, गुरुवार को है। इस मौके पर देवी सरस्वती के मंदिरों में विशेष पूजा की जाती है। इस दिन यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है। देवी सरस्वती के अनेक चमत्कारी मंदिर हमारे देश में है, ऐसा ही एक मंदिर मध्य प्रदेश के सतना (Sharda Temple Maihar) जिले में है। इसे शारदा माता मंदिर के नाम से जाना जाता है। ये एक शक्तिपीठ भी है। वसंत पंचमी के मौके पर जानिए इस मंदिर से जुड़ी खास बातें…


यहां गिरा था देवी सती का हार
देवी शारदा का ये मंदिर त्रिकूट नामक पहाड़ी पर स्थित है। ये मंदिर 52 शक्तपीठों में से एक है। इस मंदिर से जुड़ी मान्यता है कि जब भगवान शिव देवी सती का शव लेकर ब्रह्मांड में शोकाकुल घूम रहे थे, उस समय देवी का हार इसी स्थान पर गिरा था। देवी सती का हार गिरने की वजह से ही इस स्थान का नाम माई का हार यानि मैहर पड़ा। वसंत पंचमी और नवरात्रि के दिनों में यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है।


आल्हा-उदल से जुड़ा है इस मंदिर का इतिहास
मैहर के इस देवी मंदिर से कई मान्यताएं जुड़ी हैं, उन्हीं में से एक मान्यता ये भी है कि पुजारी जब सुबह मंदिर का दरवाजा खोलते हैं तो यहां ताजा फूल चढ़े हुए मिलते हैं। ये फूल कौन चढ़ाता है। इस बारे में कहा जाता कि आल्हा और उदल नाम के दो महान योद्धा थे, जो देवी के परम भक्त थे। वे ही रोज सुबह देवी की पूजा करते हैं। हालांकि इस घटना का कोई साक्षी नहीं है।


600 फीट ऊंचाई पर है ये मंदिर
देवी का ये प्राचीन मंदिर लगभग 600 फीट ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। देवी के दर्शन के लिए पहले 1063 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। कहते हैं कि इस मंदिर की खोज आल्हा और ऊदल ने की थी। फिर उन्होंने यहां देवी को प्रसन्न करने के लिए कई सालों तक कठोर तपस्या की। प्रसन्न होकर माता ने उन्हें अमरत्व का वरदान दिया। एक मान्यता ये भी है कि यहां सबसे पहले आदिगुरू शंकराचार्य ने 9वीं-10वीं शताब्दी में देवी की पूजा की थी। और भी कई बातें इस मंदिर को खास बनाती हैं।


कैसे पहुंचें?
- मैहर से सबसे करीब एयरपोर्ट खजुराहो में स्थित है, जो यहां से लगभग 135 किमी. दूर है। ये एक डोमेस्टिक हवाई अड्डा है, जो देश के कुछ ही महत्वपूर्ण हवाई अड्डों से जुड़ा हुआ है।
- मैहर में रेलवे स्टेशन की सुविधा है जो देश के सभी प्रमुख रेल लाइनों से जुड़ा हुआ है। मैहर रेलवे स्टेशन के लिए ट्रेन ना मिलने पर आप जबलपुर तक आ सकते हैं। यहां से मैहर की दूरी मात्र 165 किमी है।
- मैहर सभी प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा है। मध्य प्रदेश के किसी भी शहर से आप यहां बस या निजी वाहन से आ सकते हैं।



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