Interesting facts of Mahabharata: महाभारत में राजा धृतराष्ट्र के 100 पुत्रों का वर्णन मिलता है। इनमें दुर्योधन और दु:शासन भी शामिल थे। महाभारत में इन 100 पुत्रों के नाम भी मिलते हैं। इन 100 पुत्रों के अलावा धृतराष्ट्र की एक पुत्री भी थी।
महाभारत में राजा धृतराष्ट्र और गांधारी के 100 पुत्रों का वर्णन मिलता है। इनमें से दुर्योधन सबसे बड़ा पुत्र था। ये जानकर सभी के मन में ये प्रश्न जरूर उठता है कि एक महिला 100 पुत्रों को कैसे जन्म दे सकती है, क्योंकि ऐसा टेक्नीकली पॉसिबल नहीं लगता। लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि महाभारत काल में टेस्ट ट्यूब बेबी तकनीक थी, जिसके जरिए गांधारी ने अपने 100 पुत्रों को जन्म दिया था। आगे जानिए कैसे हुआ था कौरवों का जन्म…
कैसे हुए गांधारी के 100 पुत्र? (Gandhari ke 100 putra kaise huye)
महाभारत के अनुसार, एक बार महर्षि वेदव्यास हस्तिनापुर आए। उस समय गांधारी ने उनकी बहुत सेवा की। प्रसन्न होकर उन्होंने गांधारी को 100 पुत्रों की माता होने का वरदान दिया। समय आने पर गांधारी को गर्भ ठहरा, लेकिन 2 साल तक संतान का जन्म नहीं हुआ। भयभीत होकर गांधारी ने गर्भ गिरा दिया। तब गांधारी के गर्भ से लोहे के गोले के समान मांस-पिण्ड निकला। गांधारी उसे फेंकना चाहती थी, लेकिन तभी वहां महर्षि वेद व्यास आ गए। जब महर्षि ने उस मांस पिंड पर पानी छिड़का तो उसके 101 टुकड़े हो गए। महर्षि के कहने पर गांधारी ने 101 कुण्ड बनवाकर उन्हें घी (विशेष द्रव्य) से भर दिया और प्रत्येक कुंड में एक-एक मांस पिंड डाल दिया। समय आने पर उन कुंडों में से सबसे पहले दुर्योधन और बाद में शेष 99 पुत्र व एक पुत्री का जन्म हुआ।
जानिए गांधारी के 100 पुत्रों के नाम (Know the names of 100 sons of Gandhari)
1. दुर्योधन, 2. दु:शासन, 3. दुस्सह, 4. दुश्शल, 5. जलसंध, 6. सम, 7. सह, 8. विंद, 9. अनुविंद, 10. दुद्र्धर्ष, 11. सुबाहु, 12. दुष्प्रधर्षण, 13. दुर्मुर्षण, 14. दुर्मुख, 15. दुष्कर्ण, 16. कर्ण, 17. विविंशति, 18. विकर्ण, 19. शल, 20. सत्व, 21. सुलोचन, 22. चित्र, 23. उपचित्र, 24. चित्राक्ष, 25. चारुचित्र, 26. शरासन, 27. दुर्मुद, 28. दुर्विगाह, 29. विवित्सु, 30. विकटानन, 31. ऊर्णनाभ, 32. सुनाभ, 33. नंद, 34. उपनंद, 35. चित्रबाण, 36. चित्रवर्मा, 37. सुवर्मा, 38. दुर्विमोचन, 39. आयोबाहु, 40. महाबाहु, 41. चित्रांग, 42.- चित्रकुंडल, 43. भीमवेग, 44. भीमबल, 45. बलाकी, 46. बलवद्र्धन, 47. उग्रायुध, 48. सुषेण, 49. कुण्डधार, 50. महोदर, 51. चित्रायुध, 52. निषंगी, 53. पाशी, 54. वृंदारक, 55. दृढ़वर्मा, 56. दृढ़क्षत्र, 57. सोमकीर्ति, 58. अनूदर, 59. दृढ़संध, 60. जरासंध, 61. सत्यसंध, 62. सद:सुवाक, 63. उग्रश्रवा, 64. उग्रसेन, 65. सेनानी, 66. दुष्पराजय, 67. अपराजित, 68. कुण्डशायी, 69. विशालाक्ष, 70. दुराधर, 71. दृढ़हस्त, 72. सुहस्त, 73. बातवेग, 74. सुवर्चा, 75. आदित्यकेतु, 76. बह्वाशी, 77. नागदत्त, 78. अग्रयायी, 79. कवची, 80. क्रथन, 81. कुण्डी, 82. उग्र, 83. भीमरथ, 84. वीरबाहु, 85. अलोलुप, 86. अभय, 87. रौद्रकर्मा, 88. दृढऱथाश्रय, 89. अनाधृष्य, 90. कुण्डभेदी, 91. विरावी, 92. प्रमथ, 93. प्रमाथी, 94. दीर्घरोमा, 95. दीर्घबाहु, 96. महाबाहु, 97. व्यूढोरस्क, 98. कनकध्वज, 99. कुण्डाशी, और 100. विरजा। 100 पुत्रों के अलावा गांधारी की एक पुत्री भी थी जिसका नाम दु:श्शला था।
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