यहां हिंदू-मुस्लिम मिलकर खींचते हैं भगवान जगन्नाथ का रथ, सालों से मुस्लिम परिवार दे रहा रस्सी

आषाढ़ मास में उड़ीसा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली जाती है। इसी तर्ज पर देश में अन्य कई स्थानों पर भी जगन्नाथ रथयात्रा निकालने की परंपरा बन चुकी है। पश्चिम बंगाल के बांकुरा गांव में भी ये परंपरा निभाई जाती है।

 

उज्जैन. उड़ीसा के पुरी में निकाली जाने वाली भगवान जगन्नाथ (Jagannath Rath Yatra 2023) की रथयात्रा पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। ये यात्रा हर साल आषाढ़ मास में निकाली जाती। इसी तर्ज पर अहमदाबाद, विशाखापत्तनम, उज्जैन आदि कई शहरों में भी भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकालने की परंपरा पिछले कई सालों से चली आ रही है। इसी परंपरा के अंतर्गत पश्चिम बंगाल के एक गांव में भी भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली जाती है, इस रथयात्रा में मुस्लिम समाज द्वारा भी विशेष योगदान दिया जाता है।

ये खास बात हैं इस रथयात्रा की
पश्चिम बंगाल (West Bengal) के बांकुड़ा जिले (Bankura District) के कुरे बांकुरा गांव (Kure Bankura Village) में लगभग 80 परिवार रहते हैं, जिनमें से लगभग 20 घर मुस्लिम परिवार के हैं। हर साल यहां आषाढ़ मास में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकालने की परंपरा है, लेकिन खास बात ये है कि यहां जिस रस्सी से भगवान जगन्नाथ का रथ खींचा जाता है, वो एक मुस्लिम परिवार द्वारा दी जाती है। पिछले कुछ समय से ये रस्सी गांव में ही रहने वाले शेख रमजान अली दे रहे हैं। ये परंपरा हिंदू-मुस्लिम एकता की एक मिसाल है।

Latest Videos

कैसे शुरू हुई ये परंपरा?
कुरे बांकुड़ा गांव में रथयात्रा आयोजक समिति के सदस्य बताते हैं कि “ हमारे गांव में हिंदू-मुस्लिम साथ मिलकर रहते हैं और हर त्योहार भी मिल-जुलकर मनाते हैं। जब भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकालने की बात आई तो सभी ने मिलकर यह तय किया है कि भगवान जगन्नाथ के रथ को खींचने के लिए जो रस्सी आएगी, वो कोई मुस्लिम परिवार देगा। इससे दोनों पक्षों में भाईचारा बना रहेगा। इसी परंपरा के अंतर्गत पिछले कई सालों से गांव में ही रहने वाले शेख रमजान अली ये रस्सी दे रहे हैं।

भगवान के सामने सभी एक समान
रथयात्रा आयोजक समिति के सदस्य कहते हैं कि आज तक हमारे गांव में हिंदू-मुस्लिमों में धर्म को लेकर कोई भी विवाद नहीं हुआ। सभी लोग मिलकर एक-दूसरे के त्योहारों में शामिल होते हैं। मुस्लिम भी बड़ी श्रद्धा से भगवान जगन्नाथ का रथ खींचते हैं और आशा करते हैं कि भगवान की कृपा उन पर बनी रहेगी। प्रचलित कथा के अनुसार उड़ीसा के पुरी में स्थित भगवान जगन्नाथ की सबसे पहली प्रतिमा एक बढ़ाई ने बनाई थी, इसी से पता चलता है कि भगवान के सामने कोई जाति या धर्म का भेद नहीं है।


ये भी पढ़ें-

Jagannath Rath Yatra 2023: जगन्नाथ रथयात्रा को क्यों कहते हैं Chariot और Car Festival?


Mahakal Sawari Ujjain 2023 Date: उज्जैन में भक्तों का हाल जानने निकलेंगे बाबा महाकाल, जानें कब-कब निकलेगी सवारी?


Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

 

Read more Articles on
Share this article
click me!

Latest Videos

43 साल बाद कुवैत पहुंचे भारतीय पीएम, जमकर लगे मोदी-मोदी के नारे
20वां अंतरराष्ट्रीय अवॉर्ड, कुवैत में 'द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' से सम्मानित हुए पीएम मोदी
समंदर किनारे खड़ी थी एक्ट्रेस सोनाक्षी सिन्हा, पति जहीर का कारनामा हो गया वायरल #Shorts
सचिन तेंदुलकर ने बॉलिंग करती लड़की का वीडियो शेयर किया, बताया भविष्य का जहीर खान #shorts
अब एयरपोर्ट पर लें सस्ती चाय और कॉफी का मजा, राघव चड्ढा ने संसद में उठाया था मुद्दा