Jagannath Rath Yatra 2024: जगन्नाथ रथयात्रा में किस काम आती है ‘सोने की झाड़ू’, जानें क्या है ये रोचक परंपरा?

Jagannath Rath Yatra 2024: इस बार उड़ीसा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा 7 जुलाई, रविवार को निकाली जाएगी। तिथि का क्षय होने से इस बार रथयात्रा दूसरे दिन यानी 8 जुलाई, सोमवार को गुंडिचा मंदिर पहुंचेगी।

 

Manish Meharele | Published : Jul 7, 2024 3:20 AM IST / Updated: Jul 10 2024, 10:16 AM IST

Jagannath Rath Yatra 2024 Facts: हर साल की तरह इस बार भी उड़ीसा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा 7 जुलाई, रविवार को निकाली जाएगी। रथयात्रा शुरू होने से पहले अनेक परंपराओं का पालन किया जाएगा। आमतौर पर जगन्नाथ रथयात्रा सुबह से आरंभ होती है, लेकिन इस बार ये यात्रा शाम को शुरू होगी। खास बात ये है कि इस बार ये रथयात्रा दूसरे दिन यानी 8 जुलाई, सोमवार को गुंडिचा मंदिर पहुंचेगी। रथयात्रा के दौरान सोने की झाडू से मार्ग की प्रतीकात्मक सफाई की जाती है। जानें इस परंपरा से जुड़ी खास बातें…

क्यों खास होती है सोने की ये झाड़ू?
परंपरा के अनुसार, जब भगवान जगन्नाथ की यात्रा शुरू होती है तो रथ के आगे-आगे सोने से बनी झाड़ू से मार्ग की सफाई की जाती है। खास बात ये भी है कि सोने की झाड़ू से सफाई हर कोई नहीं कर सकता है, ये कार्य सिर्फ उस राजा के वंशज ही करते हैं जिनका कभी पुरी पर शासन था। जब भी रथयात्रा की परंपरा शुरू हुई है, तभी सोने की झाड़ू से मार्ग बुहारने की परंपरा भी जारी है।

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कैसे शुरू हुई ये परंपरा?
मान्यता है कि राजा इंद्रद्युम्न के शासन काल में भगवान जगन्नाथ का ये भव्य मंदिर बना था और उन्होंने ही रथयात्रा निकालने की शुरूआत की। राजा इंद्रद्युम्न भगवान जगन्नाथ का परम भक्त था। जब सबसे पहले भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा शुरू हुई तो स्वयं राजा इंद्रद्युम्न ने भक्ति के वशीभूत होकर यात्रा मार्ग पर सोने की झाड़ू से सफाई की थी। तभी से ये परंपरा चली आ रही है।

क्या है सोने की झाड़ू का महत्व
धर्म ग्रंथों में सोने को बहुत ही पवित्र धातु माना गया है। ये धातु गुरु ग्रह से संबंधित है। मान्यता है कि सोने की झाड़ू से मार्ग साफ करने से भगवान जगन्नाथ अति प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं। इस परंपरा का एक पहलू ये भी है कि भक्त अपना सर्वस्व भगवान को समर्पित कर देता है और स्वयं उनके अधीन हो जाता है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए ये परंपरा निभाई जाती है।


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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