Jagannath Rath Yatra 2024: हर साल आषाढ़ मास में उड़ीसा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली जाती है। इस रथयात्रा के दौरान अनेक नियमों का ध्यान रखा जाता है। इस बार रथयात्रा जुलाई 2024 में निकाली जाएगी।
Jagannath Rath Yatra 2024 facts: इस बार उड़ीसा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की प्रसिद्ध रथयात्रा 7 जुलाई, रविवार से निकाली जाएगी। इस रथयात्रा के दौरान अनेक परंपराओं और नियमों का पालन किया जाता है। आपको जानकर आश्चर्य होगा लेकिन यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ का रथ कुछ देर के लिए एक मजार पर भी रूकता है। ये मजार किसकी है और यहां रथ क्यों रोका जाता है, इससे जुड़ी एक कथा भी है। आगे जानिए इस परंपरा से जुड़ी खास बातें…
किसकी मजार पर रुकता है भगवान जगन्नाथ का रथ?
हर साल उड़ीसा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली जाती है। इसे देखने के लिए लाखों लोग यहां आते हैं। जगन्नाथ मंदिर से शुरू होकर ये यात्रा गुंडिचा मंदिर जाती है। इस दौरान भगवान जगन्नाथ का रथ कुछ देर के लिए एक मजार पर रूकता है। ऐसा सालों से होता आ रहा है। ये मजार है भगवान जगन्नाथ के परम भक्त सालबेग की, जो एक मुस्लिम था।
कौन था सालबेग? (koun tha saalbeg)
स्थानीय लोगों के अनुसार, किसी समय पुरी में सालबेग नाम का एक मुस्लिम रहता था, वह मुगलों की सेना में था। एक बार युद्ध में उसे गंभीर चोट लग गई, जिसके कारण उसे सेना से निकाल दिया गया। उस चोट के कारण सालबेग परेशान रहने लगा। तब किसी ने उसे भगवान जगन्नाथ की पूजा करने को कहा। सालबेग ने ऐसा ही किया, प्रसन्न होकर भगवान जगन्नाथ से उसे पूरी तरह से स्वस्थ कर दिया।
मंदिर नहीं जा पाया सालबेग
भगवान जगन्नाथ के इस चमत्कार को उसकी भक्ति और भी बढ़ गई। मुस्लिम होने के कारण वह कभी भगवान जगन्नाथ के मंदिर में प्रवेश नहीं कर पाया। सालबेग जब तक जीवित रहा भगवान जगन्नाथ की भक्ति करता रहा। इसी तरह उसकी मृत्यु हो गई। सालबेक की मृत्यु के बाद जब भगवान जगन्नाथ का रथ उसके घर के सामने से निकला तो वहीं रूक गया। काफी कोशिश के बाद भी वह आगे नहीं बढ़ पाया।
इसलिए यहां रूकता है भगवान जगन्नाथ का रथ
जब काफी देर तक भगवान जगन्नाथ का रथ आगे नहीं बढ़ा तो किसी ने बताया कि इस घर में सालबेग नाम का एक मुस्लिम रहता था जो भगवान जगन्नाथ का भक्त था। तब लोगों को सालबेग के नाम का जयकारा लगाया तब रथ आगे बढ़ा। लोगों ने वहां सालबेग की मजार बना दी। आज भी भगवान जगन्नाथ का रथ सालबेग की मजार पर कुछ देर के लिए जरूर रूकता है।
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